राजस्थान में विधानसभा के चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आते जा रहे हैं वैसे-वैसे भाजपा की अंदरूनी मुश्किलें बढ़ती जा रही है। एक तरफ भाजपा राजस्थान में चार अलग-अलग क्षेत्र में परिवर्तन संकल्प यात्राओं का आयोजन कर चुनावी माहौल बनाने में जुटी हुई हैं। वही पार्टी के वरिष्ठ नेता पार्टी को लगातार संकट में डाल कर परेशान कर रहे हैं। पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता रहे कैलाश मेघवाल पार्टी के लिए गले की फांस बने हुए हैं हालांकि भाजपा ने उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया है और आने वाले समय में उनका पार्टी से निष्कासन तय माना जा रहा है।
कैलाश मेघवाल प्रकरण से भाजपा को बेवजह शर्मिंदगी तो उठानी पड़ी ही, साथ ही डैमेज कंट्रोल भी करना पड़ रहा है। इसका कारण केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल है। अर्जुन राम मेघवाल शुरू से ही विवादों में रहे हैं। उनके चलते बीकानेर क्षेत्र में पार्टी के वरिष्ठ नेता रहे देवी सिंह भाटी को पार्टी छोडऩी पड़ी थी। पिछले विधानसभा चुनाव में देवी सिंह भाटी ने अर्जुनराम मेघवाल पर उनकी पुत्रवधू पूनम कँवर भाटी को चुनाव में हरवाने का आरोप लगाया था। मेघवाल अपने पुत्र रवि शेखर को जिला परिषद का चुनाव लड़वा कर भी काफी विवादों में रहे थे हालांकि उनका पुत्र रवि शेखर राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री गोविंद राम मेघवाल की पत्नी आशा देवी से 2783 वोटो से हार गया था। अर्जुन राम मेघवाल का पुत्र रवि शेखर भी अक्सर विवादों में बना रहता है।
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे समर्थक देवीसिंह भाटी भैरोंसिंह शेखावत व वसुंधरा सरकार में मंत्री रह चुके हैं। उनका बीकानेर क्षेत्र में खासा प्रभाव माना जाता है। पिछले दिनों उन्होंने भाजपा में शामिल होने का प्रयास किया था मगर अर्जुनराम मेघवाल ने उनके भाजपा प्रवेश में अड़ंगा लगा दिया था। उसके बाद भाटी ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष व नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल से मिलकर राजनीतिक गठबंधन बनाने के संकेत दिए थे। यदि देवी सिंह भाटी हनुमान बेनीवाल के साथ चुनावी गठबंधन बनाते हैं तो उसका नुकसान भाजपा को ही उठाना पड़ेगा।
पिछले दिनों जोधपुर जिले के सूरसागर से विधायक सूर्यकांता व्यास ने केंद्रीय मंत्री व जोधपुर के सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत पर हमला बोलकर पार्टी में पनप रही गुटबाजी को और हवा दे दी है। कुछ दिनों पूर्व भाजपा की वरिष्ठ विधायक सूर्यकांता व्यास ने अपनी मांगों को पूरा करने पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का सार्वजनिक रूप से आभार जताया था। जिससे खफा होकर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सूर्यकांता व्यास पर व्यंग्य कसते हुए कहा था कि बच्चे और बूढ़े का मन एक सा हो जाता हैं। उनके कही बातों को गंभीरता से नहीं लेना चाहिए। इस पर सूर्यकांता व्यास खफा हो गई थी और उन्होंने गजेंद्र सिंह के बहाने भाजपा आलाकमान को चेतावनी दे डाली की 93 साल की उम्र में भी वह अगला विधानसभा चुनाव लड़ेगी भी और जीतेगी भी।
चुनावी समय में इस तरह की बातों से पार्टी का माहौल खराब होता है। एक तरफ माहौल बनाने के लिए भाजपा दूसरे दलों के नेताओं व पूर्व ब्यूरोक्रेट्स को पार्टी में शामिल करवा रही है। वहीं दूसरी तरफ उनके अपने ही वरिष्ठ नेताओं की बयान बाजी पार्टी पर भारी पड़ रही है। कैलाश मेघवाल, देवी सिंह भाटी, सूर्यकांता व्यास यह सभी नेता पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नजदीकी माने जाते हैं। इनको लेकर पार्टी में बेवजह चल रही बयानबाजी से वसुंधरा राजे भी नाराज बताई जा रही है। वसुंधरा राजे समर्थकों का मानना है कि भाजपा के नेताओं द्वारा ही वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ बेवजह बयानबाजी कर उनकी उपेक्षा करने से पार्टी कमजोर होगी।
अर्जुन राम मेघवाल, गजेंद्र सिंह शेखावत जैसे नेता जो केंद्र सरकार में महत्वपूर्ण मंत्री भी है। उनको तो सबको साथ लेकर चलने की नीति अपनानी चाहिए। मगर वरिष्ठ नेता स्वयं ही बेवजह की बयान बाजी कर विवादों को जन्म दे रहे हैं। राजस्थान भाजपा में चल रहे मौजूदा घटनाक्रम के कारण ही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने जन संकल्प परिवर्तन यात्राओं से भी दूरी बना ली है। उनके समर्थक भी यात्राओं में नाम मात्र की उपस्थिति दर्ज कर रहे हैं।
एक तरफ तो भाजपा सुभाष महरिया, ज्योति मिर्धा, सवाई सिंह चौधरी जैसे दिग्गज जाट नेताओं को पार्टी में शामिल करवा कर प्रदेश में कांग्रेस को कमजोर करने का प्रयास कर रही है। दूसरी तरफ उनके अपने ही नेता पार्टी में एक दूसरे की टांग खींचने में लगे हुए हैं। भाजपा में व्याप्त अंदरूनी गुटबाजी को थामने के लिए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कई बार राजस्थान का दौरा कर मीटिंग ले चुके हैं। उसके उपरांत भी भाजपा में आपसी टांग खिंचाई पर रोक नहीं लग पाई है।
राजस्थान में भाजपा के पास पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के अलावा ऐसा कोई लोकप्रिय चेहरा नहीं है जिनको आगे कर वह चुनाव जीत सके। भाजपा आलाकमान वसुंधरा राजे को चेहरा बनाकर चुनाव नहीं लडऩा चाहता है। इसी कारण पार्टी सामूहिक नेतृत्व की बात कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान की कमान अपने हाथों में थाम रखी है। वह चाहते हैं कि अगला विधानसभा चुनाव उनके चेहरे व कमल के निशान पर लड़ा जाए। किसी एक को नेता प्रोजेक्ट नहीं किया जाए। इसी के लिए प्रधानमंत्री स्वयं बार-बार राजस्थान की यात्रा कर जन सभाओं को संबोधित कर रहे हैं जिससे भाजपा के पक्ष में माहौल बनाया जा सके।
राजस्थान में भाजपा पहले वरिष्ठ नेताओं के टिकट काटना चाहती थी मगर जिस तरह से कैलाश मेघवाल, सूर्यकांता व्यास ने खुलकर चुनाव लडऩे की बात कही है उससे पार्टी आलाकमान को सोचने के लिए मजबूर कर दिया है। कैलाश मेघवाल व सूर्यकांता व्यास 90 साल से अधिक उम्र के होने के बावजूद पूरी तरह राजनीति में सक्रिय है। यदि भाजपा आलाकमान अगले विधानसभा चुनाव में इन नेताओं के टिकट काटता है तो कर्नाटक की तरह राजस्थान में भी वरिष्ठ नेता बगावत कर सकते हैं। कैलाश मेघवाल, सूर्यकांता व्यास सहित बहुत से वरिष्ठ नेताओं का मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से संपर्क बना हुआ है। जिससे भाजपा को आशंका होने लगी है कि यदि इनका टिकट काटा गया तो वो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं।
कर्नाटक विधानसभा के चुनाव में करारी हार झेलने के बाद भाजपा आलाकमान भी हर कदम सोच समझ कर उठाने को मजबूर हो गया है। पार्टी आलाकमान को इस बात का एहसास हो गया है कि राजस्थान का मौजूदा नेतृत्व विधानसभा चुनाव जीतवाने में सक्षम नहीं है। जब तक पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को साथ नहीं लिया जाएगा तब तक राजस्थान में कांग्रेस को हरा पाना मुश्किल होगा। मौजूदा राजनीतिक समीकरण से लग रहा है कि अब भाजपा पुराने नेताओं को फिर से टिकट देने जा रही है। पार्टी नेतृत्व नहीं चाहता है की टिकट काटकर नेताओं को बगावत का अवसर दिया जाए।
राजस्थान विधानसभा का चुनाव जीतना है तो भाजपा आलाकमान को अर्जुन राम मेघवाल, गजेंद्र सिंह शेखावत जैसे बयानवीर नेताओं के बयानों पर रोक लगानी होगी। पार्टी में सौम्य छवि व जनाधार वाले नेताओं को आगे कर चुनाव मैदान में उतरना होगा। तभी भाजपा मजबूत हो पाएगी।
-रमेश सर्राफ धमोरा