वक्त बदला और इस बदलते वक्त ने हमारी जिंदगी के मायने भी बदल के रख दिये है आज आलम यह है कि लोग जिंदगी को जी कम रहे है और गंवा ज़्यादा रहे है। बड़ी-बड़ी उम्मीदों की वजह से दिन-रात मशीन की तरह मेहनत कर रहे है और बदले में मिल रही है न खत्म होने वाली थकन और निराशा, ऐसी परिस्थितियों में हमारी सोच भी निराशावादी हो जाए तो कोई दो राय नहीं । ऐसी परिस्थितियों में सकारात्मक सोच बस सोच बन के रह जाती है।
वास्तव में इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि हमारी जिंदगी में हमारी सोच कितना महत्व रखती है। इसका अंदाजा हम केवल इसी बात से भी लगा सकते हैं कि सकारात्मक सोच जहां हमारी जिंदगी को खुशियों से भर देती है, यहाँ नकारात्मक सोच हमारी खुशियों का अंत करने की महत्वपूर्ण वजह भी बन जाती है। बहरहाल इस सच्चाई को हम सभी को खुले दिल से स्वीकार करना चाहिए कि दुनिया में कोई भी इंसान खुद में मुकम्मल नहीं है, किसी को कोई दुख है तो किसी को कोई तकलीफ। किसी ने कुछ खोया है, तो यहाँ किसी ने कुछ गंवाया है, लेकिन इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं होना चाहिए कि हम जीना ही छोड़ दें या जिंदगी के प्रति दृष्टिकोण ही नकारात्मक अपना लें। आपका हर विपरीत परिस्थिति में सकारात्मक दृष्टिकोण रहे इसके लिए कुछ बातों का अवश्य ध्यान रखें।
* ध्यान रखें आपकी नकारात्मक सोच आप में आपके आत्मविश्वास की कमी को दर्शाती है इसलिए यह आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप खुद को कैसे देखना चाहते हैं ।
* अपनी खूबियों को अपनी क्षमताओं को पहचाने और उन्हें सराहे समय-समय पर आत्मनिरीक्षण भी अवश्य करें।
* जिंदगी में दुख है तो खुशी भी होगी। हर हाल में अपनी सोच को सकारात्मक बनाये रखें।
* मन में नकारात्मक विचार प्राय: तभी आते है जब हम खाली होते हैं इसलिए जहां तक हो स्वयं को अपने मनपसंद कामों में व्यस्त रखें।
*ध्यान रखें नकारात्मक लोगों का साथ भी प्राय: आपकी सोच को भी नकारात्मक बना देता है। इसलिए पूरी कोशिश करें कि ऐसे लोग आपके नज़दीक न रहें।
*स्वयं को कभी हल्के में न लें अपना मूल्य पहचाने और अपना महत्व कभी कम न करें ऐसा करना भी आप में सकारात्मक सोच को उत्पन्न करेगा। स्वयं को दूसरों की दृष्टि से देखना भी नकारात्मकता को उत्पन्न करने का प्रमुख कारण बनता है।
*सकारात्मक सोच रखें स्वयं खुश रहे और दूसरों को भी रखें।
*सच्चाई को जाने बिना कभी किसी निर्णय पर न पहुंचे।
*अपने नजरिये को अहमियत दें लेकिन दूसरों को भी किसी भी हाल में नजरअंदाज न करे।
*जिंदगी में जीत के साथ हार को भी खुले मन से स्वीकारने के लिए स्वयं को सदैव तैयार रखें।
* ध्यान रखें आपका किसी से सहानुभूति पाने का भाव आप में आपके आत्मविश्वास के अभाव को दर्शाता है।
*अपनी आलोचना से भयभीत होने के विपरीत उसका सामना करना सीखें।
*समय-समय पर अपना भी मूल्यांकन करते रहिए।
*कामयाब न होकर भी कामयाब होने का भाव स्वयं में उत्पन्न करें।
फौजिया नसीम शाद – विनायक फीचर्स