Monday, November 25, 2024

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने शहीदों को किये श्रद्धासुमन अर्पित, बोले धामी-उत्तराखंडियों के घाव अभी भी नहीं भरे,

मुजफ़्फरनगर। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने रामपुर तिराहा स्थित शहीद स्मारक पर पहुंचकर शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित किए। सीएम पुष्कर सिंह धामी हेलीकॉप्टर से पुलिस लाइन में पहुंचे। यहां से रामपुर तिराहा स्थल पर शहीदों के सम्मान में होने वाले कार्यक्रम में प्रतिभाग किया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केंद्रीय रक्षा एवं पर्यटन राज्यमंत्री अजय भट्ट, उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट और रूडकी से विधायक प्रदीप बतरा के साथ रामपुर तिराहा स्थित शहीद स्मारक पर पहुंचकर शहीदों को श्रद्धांजति अर्पित की। इसके बाद उन्होंने कार्यक्रम स्थल पर पहुंच कर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री के चित्र पर पुष्प और

माला अर्पित की। शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि शहीदों की शहादत से ही उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुआ है। उन्होंने कहा कि रामपुर तिराहा कांड सबसे बडा घाव है। उत्तराखंडियों का यह भाव कभी नहीं भर सकता है। उत्तराखंड के लोग इस दर्द को आज भी महसूस करते है।

उन्होंने कहा कि 1 सितंबर 1994 में पहला गोलीकांड खटीमा में हुआ। यहां पर आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज किया गया और गोलियां बरसाई गई व नरसंहार किया गया, जिसमें सैकडों की संख्या में आंदोलनकारी घायल हुए और सात आंदोलनकारी शहीद हुए। दो अक्टूबर को मसूरी और रामपुर तिराहा कांड हुआ। मुजफ्फरनगर के लोगों ने आन्दोलनकारियों की काफी मदद की है।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की प्राप्ति के लिए बहुत कष्ट सहना पडा है। उन्होंने कहा कि जो सपना शहीदों ने देखा था, वैसा उत्तराखंड राज्य बनाया जा रहा है। रामपुर तिराहा कांड की जांच के आदेश को लेकर उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद दिया है। आने वाले समय में इस कार्यक्रम को बडे विस्तार से मनाया जाएगा। जिसके लिए योजना बनाई जा रही है।

उन्होंने कहा कि आंदोलनकारियों के सपने को साकार किया जा रहा है। अभी हाल में दस प्रतिशत का आरक्षण सरकारी नौकरियों में देने का निर्णय लिया था, जिसमें कुछ पेंच फंस गया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य को श्रेष्ठ राज्य बनाने का प्रयास किया जा रहा है। उत्तराखंड के सभी धामों का विकास हो रहा है। केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम का पुर्ननिर्माण का कार्य चल रहा है। हेमकुंड और गोरीकुंड मार्ग के लिए तेजी से कार्य को रहा है। कैलाश के दर्शन के लिए सड़क मार्ग का निर्माण कराया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जी-20 का जो आयोजन हुआ, उसमें पूरी दुनियां के लोगों ने भारत की शक्ति, संस्कृति और सामर्थ को देश के कोने कोने में जाकर देखा है। कार्यक्रम में केन्द्रीय राज्यमंत्री डा. संजीव

बालियान, राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल, पूर्व विधायक उमेश मलिक, प्रमोद उटवाल, जिला पंचायत अध्यक्ष डा. वीरपाल निर्माण, जिलाध्यक्ष सुधीर सैनी, पूर्व जिलाध्यक्ष विजय शुक्ला, पूर्व सांसद राजपाल सैनी आदि मौजूद रहे।

इस दौरान रामपुर तिराहे पर पुलिस का कड़ा सुरक्षा पहरा लगाया गया। एसपी सिटी सत्यनारायण प्रजापत, सीओ सदर विनय गौतम, सीओ सिटी रामशीष यादव के साथ आसपास के थानों का पुलिसबल मौजूद रहे।

ज्ञातव्य है कि एक अक्तूबर, 1994 की वो रात थी, जब देहरादून से बसों में सवार होकर दिल्ली के लिए निकले आंदोलनकारियों पर रामपुर तिराहे पर पहुंचते ही बर्बरता की गई थी। लंबे समय से न्याय का इंतजार कर रहे पीडि़तों को अब उम्मीद जगी है। अपर जिला एवं सत्र न्यायालय के पीठासीन अधिकारी शक्ति सिंह मामले की सुनवाई कर रहे हैं। अलग-अलग पत्रावलियों की सुनवाई में तेजी आई है।

बता दें कि नौ नवंबर 2000  को नए राज्य का गठन हुआ था। साल 1995 में रामपुर तिराहा कांड की सीबीआई जांच शुरू कराई गई। 2003 में मुजफ्फरनगर के तत्कालीन डीएम अनंत कुमार सिंह नामजद किए गए थे। साल 2023 में अदालती प्रक्रिया में तेजी आई और सभी पत्रावलियों पर सुनवाई शुरू हो गई। एक पीडि़ता ने भी अदालत पहुंचकर बयान दर्ज कराए हैं। उत्तराखंड़ संघर्ष समिति के अधिवक्ता अनुराग वर्मा और रजनीश चौहान बताते हैं कि पीडि़ता के अलावा कई प्रमुख साक्षी अदालत में पहुंच चुके हैं। सीबीआई के विवेचक भी साक्ष्य के लिए आए थे। तत्कालीन गृह सचिव डॉ. दीप्ति विलास की गवाही हो चुकी है।

रामपुर तिराहा कांड में दर्जनों आंदोलनकारियों की जान चली गई थी, अब यह मामला कोर्ट में चल रहा है। उल्लेखनीय है कि एक अक्तूबर, 1994 को अलग राज्य की मांग के लिए देहरादून से बसों में सवार होकर आंदोलनकारी दिल्ली के लिए निकले थे। देर रात रामपुर तिराहे पर पुलिस ने आंदोलनकारियों को रोकने का प्रयास किया। आंदोलनकारी नहीं माने तो पुलिसकर्मियों ने फायरिंग कर दी, जिसमें सात आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी। सीबीआई ने मामले की जांच की और पुलिस पार्टी और अधिकारियों पर मुकदमे दर्ज कराए थे।

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