नई दिल्ली,-लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस जातीय जनगणना के मुद्दे को प्रमुखता से उठाने का मन बना चुकी है… कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में जातीय जनगणना को लेकर करीब 4 घंटे तक चर्चा हुई। मल्लिकार्जुन खड़गे के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद दूसरी कार्यसमिति की बैठक में साफ किया कि कांग्रेस शासित राज्यों में जातीय जनगणना कराई जाएगी…. वहीं बैठक के बाद राहुल गांधी ने कहा कि समिति ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है।
देश की सबसे पुरानी पार्टी का निर्णय लेने वाला सर्वोच्च निकाय – कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने सोमवार को राष्ट्रव्यापी जाति-आधारित जनगणना के लिए एक प्रस्ताव पारित किया और मध्य-पूर्व (इज़राइल और फ़िलिस्तीन) में युद्ध पर चिंता व पीड़ा जताई। युद्ध में पिछले दो दिनों में एक हज़ार से ज्यादा लोग मारे गए हैं।
सीडब्ल्यूसी ने फ़िलिस्तीनी लोगों की जमीन, स्व-शासन, गरिमा और सम्मान के साथ जीने के अधिकारों के लिए अपने दीर्घकालिक समर्थन को भी दोहराया। पार्टी मुख्यालय में चार घंटे तक बैठक चलने के बाद प्रस्ताव पारित किया गया। बैठक की अध्यक्षता पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने की और इसमें सीसीपी अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी, के.सी. वेणुगोपाल, सचिन पायलट, शशि थरूर, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, सुखविंदर सिंह सुक्खू, अशोक गहलोत, सिद्दारमैया और कई अन्य नेता शामिल हुए।
सीडब्ल्यूसी ने अपने प्रस्ताव में बिहार सरकार द्वारा जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी किए जाने का स्वागत किया और कहा कि सर्वेक्षण के अंतिम आंकड़ों से जनसंख्या और प्रतिनिधित्व के बीच असमानता पता चला। यह रिपोर्ट सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए तत्काल प्रभावी कदम उठाने की जरूरत पर प्रकाश डालती है। कहा गया, “सीडब्ल्यूसी न्यायमूर्ति रोहिणी आयोग के उद्देश्य का भी स्वागत करती है, लेकिन यह रेखांकित करती है कि विभिन्न समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर विस्तृत डेटा के बिना रिपोर्ट का उद्देश्य पूरा नहीं होगा।
“मोदी सरकार ने 2011 की सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना के आंकड़े जारी न करके और नई जाति जनगणना न करके देश के ओबीसी समुदायों और अन्य वंचित वर्गों को धोखा दिया है। यह दशकीय जनगणना को स्थगित करके अपने संवैधानिक कर्तव्य में भी विफल रही है। जनगणना 2021 में या उसके तुरंत बाद कराया जाना था, लेकिन नहीं कराया गया।” “इसलिए, कांग्रेस वादा करती है कि उसके नेतृत्व वाली सरकार 2021 में होने वाली सामान्य दशकीय जनगणना के हिस्से के रूप में देशव्यापी जाति-जनगणना कराएगी, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण लागू करेगी। पार्टी जल्द से जल्द अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी सहित महिलाओं के लिए पर्याप्त प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करेेेगी।
“ प्रस्ताव में कहा गया, “महिला आरक्षण में मोदी सरकार द्वारा लगाई गई जनगणना और परिसीमन की अनावश्यक बाधाएं हटा दी जाएंगी।” प्रस्ताव में यह भी कहा गया कि पार्टी जनसंख्या के अनुपात में हिस्सेदारी के अनुरूप ओबीसी, एससी और एसटी के आरक्षण के लिए कानून के माध्यम से 50 प्रतिशत की सीमा को हटा देगी। “सीडब्ल्यूसी का मानना है कि मोदी सरकार द्वारा इन हमलों की आवृत्ति केवल पांच राज्यों के चुनावों और 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले बढ़ेगी, लेकिन लोग अब इन रणनीति से भयभीत नहीं होंगे।
” सीडब्ल्यूसी ने संवैधानिक सरकार के पतन और मणिपुर में जारी मानवीय त्रासदी पर भी गहरी पीड़ा व्यक्त की। कहा गया, पांच महीने से अधिक समय के बाद भी प्रधानमंत्री ने मणिपुर के लोगों को पूरी तरह से उनके हाल पर छोड़ दिया है। सीडब्ल्यूसी ने मुख्यमंत्री को हटाने और पूर्वोत्तर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। सीडब्ल्यूसी ने अपने प्रस्ताव में हालिया आरबीआई डेटा का उल्लेख किया है जो दर्शाता है कि 2022-23 में भारतीय परिवारों की शुद्ध वित्तीय संपत्ति गिरकर 5.1 प्रतिशत हो गई है जो लगभग पांच दशक का निचला स्तर है। सीडब्ल्यूसी ने अपने सभी सदस्यों और समर्थकों से राज्य विधानसभाओं और लोकसभा के आगामी चुनाव उद्देश्य, समर्पण और दृढ़ संकल्प की एकता के साथ लड़ने का भी आग्रह किया।