Monday, November 25, 2024

हर रिश्ते की नींव… विश्वास

विश्वास अर्थात भरोसा किसी भी मानवीय रिश्ते का महत्वपूर्ण सूत्रधार होता है। कोई भी रिश्ता विश्वासरूपी नाव पर ही खड़ा होता है और इसी के आधार पर रिश्ते की गांठ मजबूत अथवा कमजोर होती है।

किस पर विश्वास करें इसका फैसला करते समय हमें धैर्य रखना होगा, क्योंकि समय के गुजरने के साथ एक इंसान यह स्वयं सिद्ध कर देता है कि वह विश्वास के योग्य है अथवा नहीं।

व्यक्ति का एक-दूसरे के प्रति ईमानदारी एवं सहयोग की भावना जहां रिश्तों को मजबूती प्रदान करता है, वहीं झूठ, फरेब और अविश्वास के कारण लोगों का एक-दूसरे के ऊपर से भरोसा उठ जाता है।

ऐसे रिश्ते जो विश्वास के अभाव में टूटा करते हैं उन्हें पुन: जोड़ना कठिन हो जाता है। यदि टूटा रिश्ता दोबारा जुड़ भी जाता है तो उसमें पहले जैसी आत्मयिता नहीं रह पाती। यह सही है कि जहां विश्वास बनाने में सालों लग जाते हैं, वहीं उसके टूटने में पल भर का वक्त भी नहीं लगता। जाने अनजाने हम अपने चाहने वालों का भरोसा तोड़ देते हैं, अविश्वास अपना स्थान बनाने लगता है। इस कारण से आपसी रिश्ते की डोर कमजोर होती है और कई बार टूट भी जाती है। असमय रिश्ते टूटने से बचाने के लिए हमें आपसी रिश्तों में कोई ऐसा अवसर नहीं देना चाहिए कि जिससे एक-दूसरे का एक-दूसरे के प्रति विश्वास हिल जाये।

रहीम की ये पंक्तियां कभी न भूलें, हमेशा याद रखें… ‘रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय, टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े तो गांठ लग जाये।’

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