नई दिल्ली। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने बुधवार को एक हैरान करने वाली घटना के बारे में बताया, जब एक रोहिंग्या ने उनसे कहा था कि उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तकलीफ है। घटना अर्बन शेल्टर इम्प्रूवमेंट बोर्ड के एक शेल्टर की है जहां प्रियंक कानूनगो मंगलवार को गए थे। वहां उनकी मुलाकात एक रोहिंग्या से हुई थी थी, जिसने उन्हें बताया कि उसे पीएम मोदी से तकलीफ है।
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उन्होंने जब उस रोहिंग्या से इसकी वजह पूछी, तो उसने बताया कि उसे इस बात का दुख है कि भारत में कोई भी प्रधानमंत्री उसके समुदाय का नहीं है, इसलिए उसे मौजूदा प्रधानमंत्री से दुख है। उस रोहिंग्या ने प्रियंक को बताया कि वह पिछले कई साल से यहां रहा है और उसका वोटर आईडी कार्ड भी है। प्रियंक कानूनगो ने कहा, “यह स्थिति बहुत चिंताजनक थी, क्योंकि यह व्यक्ति एक अवैध अप्रवासी था, जो यहां भारत सरकार द्वारा मुहैया कराए गए भोजन, कपड़े, और शेल्टर की सुविधाओं का लाभ उठा रहा था, और फिर भी वह भारत की सरकार की इस तरह से आलोचना कर रहा था।
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यह घटनाक्रम इस मुद्दे को उठाता है कि दिल्ली के शेल्टर्स, चाहे वे रात्री शेल्टर्स हों या स्थायी शेल्टर्स, उन लोगों के लिए हैं जो मौसम की कठिनाइयों से बचने के लिए आश्रय की तलाश करते हैं। ये शेल्टर्स भारतीय नागरिकों को सुरक्षित रखने के लिए बनाए गए हैं, ताकि वे सर्दी, गर्मी या बारिश से बच सकें। इन शेल्टर्स में आमतौर पर परिवारों को रखा जाता है, जिनमें कई साल से लोग रह रहे हैं।” उन्होंने कहा कि इस स्थिति में अगर कोई बांग्लादेशी नागरिक अवैध रूप से सीमा पार करके यहां आता है, तो उसे भारतीय नागरिकता देने का कोई आधार नहीं है।
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भारत में शरणार्थियों के लिए अलग से प्रक्रिया है। लेकिन यह जो व्यक्ति दिल्ली में शेल्टर में रहकर भारत सरकार से सुविधाएं ले रहा था और फिर प्रधानमंत्री मोदी को लेकर इस तरह की टिप्पणियां कर रहा था, वह एक गंभीर और चिंताजनक मामला है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के शेल्टर्स में यह समस्या नहीं होनी चाहिए कि कोई अवैध अप्रवासी लंबे समय तक वहां रहकर सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग करे। यदि कोई बांग्लादेशी नागरिक अवैध तरीके से भारत में प्रवेश करता है, तो उसे तुरंत देश से बाहर करने की प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए।
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अगर वह यहां शरण लेना चाहता है, तो उसके लिए कानूनी प्रक्रिया और शरणार्थी के रूप में व्यवस्था होनी चाहिए। लेकिन यह जो अवैध तरीके से लोग यहां आते हैं और फिर भारत की सरकार को आलोचना करते हैं, यह निश्चित ही एक संवेदनशील मुद्दा है। प्रियंक कानूनगो ने कहा कि इसी सिलसिले में वह दिल्ली सरकार के शेल्टर विभाग डीयूएसआईपी को नोटिस जारी कर रहे हैं, ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि वे किस प्रकार इन अस्थाई शेल्टर्स में रह रहे लोगों के बारे में जानकारी रखते हैं। क्या इन शेल्टर्स में जो लोग रह रहे हैं, उनकी जानकारी पुलिस को दी गई है? जैसा कि एक मकान मालिक अपने किरायेदार की जानकारी पुलिस को देता है, क्या डीयूएसआईपी ने भी इस प्रक्रिया का पालन किया है? क्या उनके पास इसके लिए कोई मानक संचालन प्रक्रिया है?