नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने आबकारी नीति कथित घोटाला मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को राहत देते हुए जमानत की शर्तों में बुधवार को ढील दे दी।
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न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने सिसोदिया की जमानत के मामले में अपने पिछले आदेश में संशोधन करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को हर सोमवार और गुरुवार को संबंधित जांच अधिकारी के समक्ष पेश होने की शर्त जरूरी नहीं है हालांकि, शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि उन्हें नियमित रूप से निचली अदालत में उपस्थित होना चाहिए।
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सिसोदिया ने हर सोमवार और गुरुवार को संबंधित जांच अधिकारी के समक्ष पेश होने की जमानत की शर्तों में ढील के लिए शीर्ष अदालत से गुहार लगाई थी।
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उच्चतम न्यायालय ने गत नौ अगस्त को सिसोदिया को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी)- दोनों मामलों में जमानत देकर उन्हें बड़ी राहत दी थी। अदालत ने यह देखते हुए जमानत दी थी कि मुकदमे की सुनवाई में देरी और सिसोदिया के लंबे समय तक जेल में रहने से संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वतंत्रता के उनके अधिकार पर असर पड़ रहा है।
शीर्ष अदालत ने जमानत की शर्तों में सिसोदिया को प्रत्येक सोमवार और गुरुवार को सुबह 10 से 11 बजे के बीच जांच अधिकारी के समक्ष पेश होने के लिए कहा था। इसके बाद शीर्ष अदालत ने जमानत देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय के 21 मई, 2024 के आदेश को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया गया था।
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता सिसोदिया को उपमुख्यमंत्री रहते हुए 26 फरवरी, 2023 को गिरफ्तार किया गया था।