Tuesday, November 5, 2024

भाकियू अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत चौधरी जगबीर सिंह हत्याकांड में सबूत के अभाव में बरी

मुज़फ्फरनगर। राष्ट्रीय किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे दिवंगत चौधरी जगबीर सिंह हत्याकांड में कोर्ट ने आरोपी भाकियू के अध्यक्ष व बालियान खाप के चौधरी नरेश टिकैत को सबूत के अभाव में बरी कर दिया है।

गत 6 सितंबर 2003 को ग्राम अलावलपुर में जगबीर सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस मामले में बचाव पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल जिंदल ने यह जानकारी दी। आज एड़ीजे 5 अशोक जुमार ने यह फैसला सुनाया।

आप अवगत ही हैं कि  मुजफ्फरनगर के थाना भौराकलां  में राष्ट्रीय किसान संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी जगबीर सिंह की 6 सितंबर 2003 को नृशंस हत्या कर दी गई थी।  इस हत्या में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश

टिकैत समेत अलावलपुर गांव के प्रवीण और बिट्टू को नामजद किया गया था, जिनमें प्रवीण और बिट्टू की मौत हो चुकी है जबकि नरेश टिकैत अकेले अभियुक्त  हैं जिनके विषय में अदालत में सुनवाई चल रही थी।

अपर जिला जज अशोक कुमार की अदालत में चल रही सुनवाई में चौधरी जगबीर सिंह के पुत्र और प्रदेश के पूर्व मंत्री योगराज सिंह जमकर पैरवी कर रहे थे, वे इस मुकदमे को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक भी ले गए थे और हाईकोर्ट के आदेश पर उन्होंने विगत सप्ताह ही कुछ गवाहों को भी तलब कराया था जिसके बाद अब अदालत ने मामले की सुनवाई पूरी कर दी है और 17 जुलाई को फैसला सुनाने की घोषणा की थी और आज फैसला सुना दिया जिसमे नरेश टिकैत को बरी कर दिया।

अपर जिला जज ने वादी योगराज सिंह के तथ्यों को प्रभावी नहीं माना है और तत्कालीन एसएसपी नवनीत सिकेरा की गवाही को महत्वपूर्ण बताया है।  अदालत में तत्कालीन एसएसपी नवनीत सिकेरा ने पेश होकर गवाही दी थी जिसमे नरेश टिकैत पर आरोपण को मिथ्या बताया था ,जिसे इस मुकदमे में महत्वपूर्ण माना गया है और जिसके आधार पर ही नरेश टिकैत के पक्ष में फैसला आया है।

इस मामले में वादी पक्ष की ओर से अपर जिला शासकीय अधिवक्ता अमित त्यागी समेत वरिष्ठ अधिवक्ता राजेंद्र गर्ग, लक्ष्मी नारायण शर्मा और संदीप त्यागी ने पैरवी की है जबकि बचाव पक्ष के वकील जिला बार संघ के अध्यक्ष अनिल जिंदल रहे ।आज आये इस फैसले पर मुजफ्फरनगर के सभी राजनीतिक समीक्षकों की नजर लगी हुई थी ।

भाकियू अध्यक्ष ने इस फैसले को न्याय की जीत बताया है दूसरी तरफ पूर्व मंत्री योगराज सिंह ने फैसले पर निराशा जाहिर करते हुए इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है।

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