Sunday, December 22, 2024

अदाणी को लगा एक और बड़ा झटका, केन्या ने एयरपोर्ट प्रोजेक्ट समेत 700 मिलियन डॉलर का डील किया रद्द

केन्या,अफ्रीका। केन्या के राष्ट्रपति विलियम रूटो ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए भारतीय कंपनी अडानी ग्रुप के साथ किए गए सभी समझौतों को रद्द करने का ऐलान किया है। इस निर्णय में बिजली ट्रांसमिशन और एयरपोर्ट विस्तार जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाएं शामिल हैं, जो केन्या की विकास योजनाओं का हिस्सा थीं।

 

 

केन्या सरकार ने अडानी ग्रुप के साथ हुए 700 मिलियन डॉलर के पावर ट्रांसमिशन समझौते को रद्द कर दिया है। इस समझौते के तहत केन्या में बिजली ट्रांसमिशन के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा तैयार किया जाना था, लेकिन अब इसे स्थगित कर दिया गया है। इसके अलावा, 1.8 बिलियन डॉलर के एयरपोर्ट विस्तार समझौते को भी रद्द किया गया है, जो केन्या के अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के विस्तार से जुड़ा था। यह परियोजना केन्या में एयरपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने के लिए थी, लेकिन अब इसे भी खारिज कर दिया गया है।

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केन्या द्वारा इन परियोजनाओं को रद्द करने के पीछे अडानी ग्रुप पर अमेरिका में लगाए गए वित्तीय धोखाधड़ी के आरोपों को मुख्य कारण माना जा रहा है। हाल ही में हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप पर गंभीर वित्तीय अनियमितताओं और धोखाधड़ी के आरोप लगे थे, जिसके बाद कई देशों में कंपनी के खिलाफ संदेह उत्पन्न हुआ है।

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केन्या में अडानी ग्रुप के व्यापारिक भविष्य पर असर डाल सकता है, साथ ही यह कदम अन्य देशों के लिए भी एक संकेत हो सकता है, जहां अडानी ग्रुप के साथ परियोजनाओं पर विचार किया जा रहा था। इस फैसले से वैश्विक स्तर पर अडानी ग्रुप की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

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केन्या सरकार ने अडानी ग्रुप के साथ रद्द किए गए समझौतों के बारे में स्पष्ट किया कि ये फैसले कंपनी पर लगे आरोपों और संबंधित मुद्दों को ध्यान में रखते हुए लिए गए हैं। इस कदम से अडानी ग्रुप के अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट्स पर प्रभाव पड़ने की संभावना है, जो पहले से ही विवादों में घिर चुके हैं। यह स्थिति अडानी ग्रुप के लिए एक और झटका है, जो पहले से ही कई देशों में अपने प्रोजेक्ट्स और निवेशों को लेकर आलोचना का सामना कर रहा है। अडानी ग्रुप पर हाल ही में अमेरिका में रिश्वतखोरी के गंभीर आरोप लगे हैं, जिनके बाद केन्या सरकार ने अडानी के साथ किए गए बड़े समझौतों को रद्द करने का निर्णय लिया। केन्या सरकार ने अडानी ग्रुप के साथ $700 मिलियन का पावर ट्रांसमिशन डील और $1.8 बिलियन का एयरपोर्ट विस्तार प्रस्ताव रद्द कर दिया। केन्या के राष्ट्रपति विलियम रूटो ने इस फैसले को पारदर्शिता और ईमानदारी के सिद्धांतों पर आधारित बताया।

राष्ट्रपति रूटो ने स्पष्ट रूप से कहा कि उनकी सरकार किसी भी ऐसे अनुबंध को स्वीकार नहीं करेगी, जो देश की नीतियों और मूल्यों के खिलाफ हो। उनका कहना था, “हम किसी भी ऐसे अनुबंध को मंजूरी नहीं देंगे जो हमारे देश की छवि और हितों के खिलाफ हो।” उन्होंने यह भी कहा कि केन्या सरकार पूरी तरह से पारदर्शिता और ईमानदारी के सिद्धांतों का पालन करती है, और ऐसी परियोजनाओं को मंजूरी नहीं दी जाएगी जो इन मानकों से मेल न खाती हों।

अमेरिका में अदानी समूह के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए थे, जिसके बाद अब केन्या ने अदानी ग्रुप के साथ किया गया एक बड़ा करार रद्द कर दिया है। यह करार लगभग 700 मिलियन डॉलर (करीब 5,800 करोड़ रुपये) का था और इसका उद्देश्य केन्या में एक एयरपोर्ट का निर्माण और…

केन्या के राष्ट्रपति विलियम रूटो ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है, जिसमें उन्होंने भारतीय कंपनी अडानी ग्रुप के साथ किए गए सभी समझौतों को रद्द करने की बात कही। इन समझौतों में बिजली ट्रांसमिशन और एयरपोर्ट विस्तार जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाएं शामिल थीं।

केन्या द्वारा इन समझौतों को रद्द किए जाने का कारण अडानी ग्रुप पर अमेरिका में लगाए गए वित्तीय धोखाधड़ी के आरोप माने जा रहे हैं। हाल ही में अडानी ग्रुप पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद गंभीर आरोप लगे थे, जिसके बाद कई देशों में कंपनी की परियोजनाओं को लेकर संशय उत्पन्न हुआ है।

केन्या सरकार ने अडानी ग्रुप के साथ रद्द किए गए समझौतों के बारे में स्पष्ट किया कि ये फैसले कंपनी पर लगे आरोपों और संबंधित मुद्दों को ध्यान में रखते हुए लिए गए हैं। इस कदम से अडानी ग्रुप के अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट्स पर प्रभाव पड़ने की संभावना है, जो पहले से ही विवादों में घिर चुके हैं। यह स्थिति अडानी ग्रुप के लिए एक और झटका है, जो पहले से ही कई देशों में अपने प्रोजेक्ट्स और निवेशों को लेकर आलोचना का सामना कर रहा है।
हाल ही में अडानी ग्रुप पर अमेरिका में रिश्वतखोरी और वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोपों के बाद केन्या सरकार ने भारतीय कंपनी के साथ किए गए दो बड़े समझौतों को रद्द करने का निर्णय लिया है। इन समझौतों में $700 मिलियन का पावर ट्रांसमिशन डील और $1.8 बिलियन का एयरपोर्ट विस्तार प्रस्ताव शामिल थे।

केन्या सरकार ने अडानी ग्रुप के साथ हुए पावर ट्रांसमिशन के $700 मिलियन के समझौते को रद्द कर दिया है, जिसमें केन्या में बिजली ट्रांसमिशन के लिए बुनियादी ढांचा तैयार किया जाना था। इसके अलावा, अडानी ग्रुप का $1.8 बिलियन का प्रस्ताव भी रद्द कर दिया गया है, जो केन्या के एयरपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार से जुड़ा था।

केन्या के राष्ट्रपति विलियम रूटो ने इस फैसले को पारदर्शिता और ईमानदारी के सिद्धांतों पर आधारित बताया। उन्होंने कहा, “हम किसी भी ऐसे अनुबंध को मंजूरी नहीं देंगे जो हमारे देश की छवि और हितों के खिलाफ हो।”राष्ट्रपति रूटो ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी सरकार पूरी तरह से पारदर्शिता और ईमानदारी के सिद्धांतों का पालन करती है, और इस कारण से किसी भी ऐसी परियोजना को मंजूरी नहीं दी जाएगी जो इन मानकों से मेल न खाती हो।अडानी ग्रुप पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद से गंभीर आरोप लगे थे, जिसमें कंपनी पर वित्तीय धोखाधड़ी और रिश्वतखोरी के आरोप थे। इन आरोपों के चलते कई देशों में अडानी ग्रुप की परियोजनाओं पर संदेह उत्पन्न हुआ है, और केन्या ने इस संदर्भ में अडानी के साथ अपने समझौतों को रद्द करने का निर्णय लिया है।

इस फैसले के बाद अडानी ग्रुप के अगले कदम पर सभी की नजरें हैं। यदि कंपनी इस निर्णय का विरोध करती है या कोई कानूनी कदम उठाती है, तो यह मामला और भी गहरा सकता है। अडानी ग्रुप की प्रतिष्ठा को लेकर उठे आरोपों का वैश्विक व्यापार और निवेश पर व्यापक असर पड़ सकता है, क्योंकि यह न केवल केन्या, बल्कि अन्य देशों में भी उनके भविष्य के व्यापारिक रिश्तों पर सवाल उठा सकता है।केन्या सरकार का यह कदम विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह एक संदेश भेजता है कि पारदर्शिता और भ्रष्टाचार विरोधी नीतियों के तहत किए गए समझौते ही स्वीकृत किए जाएंगे। यह उन देशों के लिए भी एक चेतावनी हो सकता है, जहां अडानी ग्रुप के साथ समझौतों की योजना बन रही है या जो वर्तमान में अडानी ग्रुप से जुड़ी परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं।अडानी ग्रुप पर लगे आरोपों के बाद कई देशों में कंपनी की प्रतिष्ठा को धक्का लगा है, और केन्या का यह कदम न केवल कंपनी की वैश्विक रणनीतियों पर असर डाल सकता है, बल्कि यह निवेशकों के बीच भी चिंता का कारण बन सकता है।अडानी ग्रुप के खिलाफ उठे आरोपों ने पूरे व्यापार जगत को झकझोर दिया है और अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कंपनी अपनी छवि को सुधारने के लिए कोई कदम उठाती है, या फिर इस विवाद का कोई और आयाम सामने आता है। इस संदर्भ में केन्या सरकार का निर्णय एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन सकता है, जो भविष्य में अन्य देशों द्वारा किए गए फैसलों और जांचों को प्रभावित कर सकता है।

केन्या सरकार द्वारा अडानी ग्रुप के साथ किए गए समझौतों को रद्द करने का निर्णय एक महत्वपूर्ण कदम है, जो देश के आर्थिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से व्यापक प्रभाव डाल सकता है।

केन्या सरकार ने अडानी ग्रुप के साथ हुआ $700 मिलियन का पावर ट्रांसमिशन समझौता रद्द कर दिया है, जिसके तहत केन्या में बिजली ट्रांसमिशन के लिए बुनियादी ढांचा तैयार किया जाना था। यह परियोजना अब पूरी तरह से स्थगित कर दी गई है, और इससे केन्या में बिजली वितरण में सुधार की उम्मीदों पर एक सवाल खड़ा हो सकता है।
इसके अतिरिक्त, अडानी ग्रुप का $1.8 बिलियन का प्रस्ताव भी रद्द कर दिया गया है, जो एक अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के विस्तार के लिए था। इस परियोजना का उद्देश्य केन्या के एयरपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करना था, लेकिन अब केन्या सरकार ने इसे रद्द कर दिया है। इससे एयरपोर्ट के विस्तार की योजना पर भी रोक लग गई है, जो पर्यटन और व्यापार के दृष्टिकोण से एक बड़ी निराशा हो सकती है।
यह निर्णय अडानी ग्रुप पर अमेरिका में लगाए गए वित्तीय धोखाधड़ी और अन्य आरोपों के बाद आया है। केन्या सरकार ने यह कदम पारदर्शिता और ईमानदारी की नीति के तहत उठाया है, और राष्ट्रपति विलियम रूटो ने कहा है कि उनकी सरकार किसी भी ऐसे समझौते को मंजूरी नहीं देगी, जो देश की नीतियों और मूल्यों के खिलाफ हो।यह कदम न केवल केन्या, बल्कि अन्य देशों में भी अडानी ग्रुप की परियोजनाओं और उनके खिलाफ उठ रहे आरोपों पर विचार करने की आवश्यकता को उजागर करता है। अब यह देखना होगा कि अडानी ग्रुप इस फैसले का कैसे जवाब देता है और क्या अन्य देशों में भी ऐसी जांचें शुरू होती हैं।
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