Tuesday, May 20, 2025

राहुल गांधी का बयान उकसाने वाला, अधीर रंजन चौधरी ने लगाए बेबुनियाद आरोप – रविशंकर प्रसाद

नई दिल्ली। मणिपुर पर सदन में चर्चा और अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी द्वारा लगाए गए आरोपों पर भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने पलटवार किया।

उन्होंने कहा है कि कांग्रेस नेता ने बेबुनियाद आरोप लगाए हैं, संसद सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए है, विपक्ष को अपनी बात कहनी चाहिए। लेकिन, यह भी जरूरी है कि वह सत्ता पक्ष की भी बात सुने।

उन्होंने कहा कि विपक्ष किसी की बात नहीं सुनता है, पहले उन्होंने कहा कि पीएम को बुलाओ और जब प्रधानमंत्री मणिपुर पर बोल रहे थे तो विपक्ष ने नहीं सुना, वॉकआउट कर दिया।

प्रसाद ने कहा कि स्पीकर के पास जाकर हंगामा करो, हल्ला करो, किसी और को बोलने ना दो और फिर यह आरोप लगाओ कि उन्हें बोलने नहीं दिया जाता, यह विपक्ष का दोहरा चरित्र है।

उन्होंने विपक्ष के आचरण को गैर जिम्मेदाराना बताते हुए कहा कि चर्चा के समय विपक्ष भाग जाता है।

दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी पर भी तीखा निशाना साधते हुए कहा कि राहुल गांधी का भाषण उकसाने वाला था। उन्होंने बेहद आक्रामक शब्दों का इस्तेमाल किया और उनके पास लोकतांत्रिक सोच नहीं है।

प्रसाद ने राहुल पर हमला जारी रखते हुए कहा कि राहुल गांधी ना देश को समझते हैं और ना ही देश की परिस्थिति को समझते हैं। उनके पूर्वजों ने एक बार देश का विभाजन करा दिया है। लेकिन, अब हम फिर से देश का विभाजन नहीं होने देंगे।

उन्होंने कहा कि पार्टी राहुल के भाषण को लेकर पूरे देश में जाएगी। राहुल गांधी पर राजनीतिक हमला जारी रखते हुए प्रसाद ने आगे कहा कि राहुल गांधी अपनी क्षमता से नहीं बल्कि अपने परिवार की कृपा से नेता बने हैं।

अधीर रंजन चौधरी के बयान पर पलटवार करते हुए प्रसाद ने यह भी कहा कि वह किस कानून से यह बोल रहे हैं कि अविश्वास प्रस्ताव आने के बाद कोई विधेयक नहीं लाया जा सकता है, यह कहां लिखा है ?

उन्होंने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव का नियम तो यह कहता है कि जब स्पीकर इसकी अनुमति दे देते हैं तो 10 दिन के अंदर उस पर कभी भी बहस हो सकती है।

उन्होंने कहा कि जिस पार्टी को देश की जनता ने दूसरी बार पूर्ण बहुमत दिया हो क्या उसे काम नहीं करने दिया जाएगा ? क्या ये (विपक्ष) संसद में बहस नहीं होने देंगे ?

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