लखनऊ। इंडो नेपाल बॉर्डर पर 1621 करोड़ से 64 किमी सड़क बनाए जाने का रास्ता साफ हो गया है। गृह मंत्रालय ने इंडो नेपाल बॉर्डर पर सड़क बनाने को सैद्धांतिक सहमति दे दी है।
इसको लेकर तैयारी शुरू हो गई है। पीलीभीत में पिलर संख्या 7 बंदरभोज, पिलर संख्या 42 शारदा पुरी बाजार घाट तक 39 किलोमीटर सड़क बनने से दर्जनों गांव के लोगों का सफर आसान होगा।
पीलीभीत से लेकर लखीमपुर खीरी, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर और महाराजगंज 64 किमी तक इंडो नेपाल बॉर्डर पर सड़क बनाने का काम तेजी से शुरू हो जाएगा। इंडो नेपाल बॉर्डर सड़क परियोजना के अधिशासी अभियंता संजीव जैन ने बताया कि 2.8 किमी लंबाई का लघु सेतु का निर्माण, पीलीभीत में 37.13 किमी लंबी सड़क के लिए 394. 40 करोड़ की डीपीआर तैयार की गई थी।
31 जुलाई 2023 को भारत सरकार ने अपनी सहमति दे दी है। 27 जुलाई को वन्य जीव संस्थान देहरादून के अधिकारियों के बीच वार्ता हुई थी।
इसके बाद सड़क पर 11 अंडरपास की सहमति दे दी है। सड़क पर वन्यजीवों के आने जाने के लिए 11 अंडरपास बनाए जाएंगे। इसके अलावा एक फ्लाईओवर भी बनाया जाएगा। इन सभी की सैद्धांतिक सहमति के बाद अब वन विभाग के पोर्टल पर आवेदन कर विधिवत ली जाएगी।
सड़क बनाने की शुरुआत नवंबर 2010 में की गई थी। इसकी डीपीआर तैयार की गई थी। लेकिन, वन विभाग की एनओसी न मिलने की वजह से इसका निर्माण फंसा हुआ था। मुख्यमंत्री के निर्देश पर चीफ सेक्रेटरी ने पूरे मामले में भारत सरकार और विभाग के अधिकारियों से बात की। इसके बाद गृह मंत्रालय ने सैद्धांतिक सहमति दी है।
शारदा नदी के पुल पर भी गृह मंत्रालय ने अपनी सहमति दे दी है। इसे डीपीआर में शामिल कर लिया गया है। इंडो नेपाल बॉर्डर परियोजना के लिए अधिशासी अभियंता लखीमपुर खीरी और अधिशासी अभियंता इंडो नेपाल बॉर्डर बहराइच को नोडल ऑफिसर नियुक्त किया गया है।
वह अन्य अधिकारियों से बात कर मामले में एनओसी और आगे की प्रक्रिया पूरी करेंगे। चीफ सेक्रेटरी दुर्गाशंकर मिश्र के बरेली दौरे के बाद मुख्यमंत्री के निर्देश पर मंडलायुक्त सौम्या अग्रवाल ने नेपाल बॉर्डर के गांवों का दौरा कर वहां चौपाल लगाई थी। गांव वालों ने इंडो नेपाल बॉर्डर की सड़क के निर्माण की मांग की थी।
इसके बाद मंडलायुक्त ने सड़क बनाने में आ रही अड़चन के संबंध में रिपोर्ट शासन को भेजी थी। इसके बाद शासन ने पूरे मामले में संज्ञान लेकर कार्रवाई की। गृह मंत्रालय से लेकर वन विभाग के अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित कर समस्या का समाधान कराया गया। नेपाल बॉर्डर के कई गांव के लोगों को काफी आसानी होगी।