मेरठ । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि क्षेत्रीय श्री गांधी आश्रम के खिलाफ रिट याचिका पर सुनवाई नहीं की जा सकती। क्योंकि यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत राज्य के अंतर्गत नहीं आता। कोर्ट ने कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि आश्रम के कार्यों को नियंत्रित करने का अधिकार देने वाला कोई कानून नहीं है। न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने यह आदेश प्रेम चंद्र की याचिका पर दिया।
याची क्षेत्रीय श्री गांधी आश्रम, गढ़ रोड, मेरठ में पर्यवेक्षक था। उसे श्री गांधी आश्रम, खादी भंडार, बड़ौत, जिला बागपत में स्थानांतरित कर दिया गया था। इस दौरान आश्रम की ओर से धन के दुरुपयोग और आशियाना प्राइवेट लिमिटेड के पक्ष में गलत बिक्री विलेख निष्पादित करने के बारे में शिकायत दर्ज कराई गई है।
याचिकाकर्ता ने दलील दी कि जब जांच की गई तो क्षेत्रीय श्री गांधी आश्रम के सचिव ने उसे अपनी शिकायत वापस लेने की धमकी दी। इसके बाद याचिकाकर्ता को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। याची ने प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के उल्लंघन के आधार पर अपनी बर्खास्तगी को हाईकोर्ट में चुनौती दी।
कोर्ट ने कहा कि श्री गांधी आश्रम द्वारा नियंत्रित क्षेत्रिय गांधी आश्रम मेरठ अनुच्छेद 12 के के तहत राज्य के अंतर्गत नहीं आता है। क्योंकि राज्य का इसके कामकाज पर कोई वैधानिक नियंत्रण नहीं है। उत्तर प्रदेश सहकारी समिति अधिनियम 1965 के तहत रजिस्टर्ड सोसाइटी होने के नाते इसके कामकाज को निर्देशित करने वाला कोई कानून नहीं है। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।