Thursday, May 2, 2024

अमेरिका को बाइडेन-मोदी बैठक से प्रगति की उम्मीद;जी20 में शी के न आने पर तटस्थ

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नयी दिल्ली- अमेरिका ने जी-20 शिखर सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति की शी जिनपिंग के नहीं आने पर एक तरह का तटस्थ भाव दिखाते हुए कहा है कि वह इस समूह को बड़ी नौतियों से निपटने में वैश्विक समन्वय का मजबूत केंद्रीय तंत्र बनाए रखने, तथा इसके लिए भारत जैसे देशों के साथ सहयोग में अपना बड़ा हित देखता है।

अमेरिका ने शुक्रवार को उम्मीद जताई कि राष्ट्रपति जो बाइडेन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच नयी दिल्ली में होने जा रही द्विपक्षीय बातचीत से दोनों देशों के बीच रक्षा उत्पादन और अन्य क्षेत्रों में सहयोग की दिखा में ‘सार्थक प्रगति’ होगी।

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श्री बाइडेन के साथ जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए भारत आ रहे अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुल्लिवन ने जर्मनी के रैम्सटेन वायुसैनिक अड्डे के रास्ते में राष्ट्रपति के विशेष विमान में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि वह जी-20 के नयी दिल्ली सम्मेलन में श्री शी के नहींआने से क्या असर होगा इसमें नहीं पड़ना चाहते हैं। साथ में उन्होंने यह भी कहा कि भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के बाद जी-20 की बैठक अमेरिका को भी करानी है और मंच को आगे बढ़ाने में इन देशों के साथ अमेरिका को मिल कर काम करना है।

ह्वाइट हाउस द्वारा शुक्रवार को उपलब्ध कराए गए इस प्रेसवार्ता के मूल पाठ के अनुसार श्री सुल्लिवन ने कहा, ‘मैंने एक बात नोट की है, क्योंकि संवाददाता सम्मेलन कक्ष में मुझसे कई बार चीन के बारे में सवाल किए गए हैं और, आप जानते हैं, तथ्य यह है कि शी जिनपिंग (चीन के राष्ट्रपति) नहीं आ रहे हैं – क्या वे खेल बिगाड़ने का खेल खेलेंगे या कुछ और करेंगे। इस संबंध में(शी के न आने से ) इस शिखर सम्मेलन में क्या होगा, मैं इसके बीच में नहीं आना चाहता।”

नयी दिल्ली में नौ-10 सितंबर को जी-20 शिखर सम्मेलन में चीन का प्रतिनिधित्व उसके प्रधानमंत्री ली कियांग करेंगे।

अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा, “मैं चाहूंगा कि यदि आप अगले कुछ वर्षों में जी-20 की मेजबानी करने जा रहे देशों की सूची देखें: इस वर्ष भारत है तो, अगले वर्ष ब्राजील, उसके अगले वर्ष दक्षिण अफ्रीका और फिर संयुक्त राज्य अमेरिका का नंबर आता है। और मुझे लगता है, उन तीन देशों – भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका – के साथ-साथ अमेरिका की जी-20 को आगे बढ़ाने और यह सुनिश्चित करने में गहरी हिस्सेदारी है कि यह हमारे सामने आने वाली सभी प्रमुख चुनौतियों पर वैश्विक समन्वय के लिए एक केंद्रीय तंत्र बना रहे। ”

उन्होंने कहा कि दिल्ली में इस सप्ताहांत बातचीत में अमेरिका को इन बातों को प्रतिविम्बित करने के अवसर मिलेंगे ।

अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा कि दोनों नेताओं की बातचीत से भारतीय प्रधानमंत्री की अमेरिका की पिछली आधिकारिक यात्रा के बाद की प्रगति की समीक्षा करने का अवसर होगा तथा इस बातचीत से रक्षा लड़ाकू विमानों के लिए जेट इंजन के विनिर्माण , लड़ाकू ड्रोन, दूसरंचार तथा परमाणु बिजली घरों के निर्माण के क्षेत्र में सहयोग की दिशा में प्रगति होगी।

श्री सुल्लीवन ने कहा,“मैं दूसरी बात यह कहूंगा कि, कल,हमारे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात करेंगे, और यह श्री मोदी की पिछली अमेरिकी यात्रा की समीक्षा करने का अवसर होगा। और हम जीई जेट इंजन के मुद्दे, एमक्यू-9 रीपर्स (ड्रोन सौदा), 5जी/6जी, महत्वपूर्ण तथा उभरती प्रौद्योगिकियों पर सहयोग जैसे कई मुद्दों पर सार्थक प्रगति देखेंगे, जिनमें परमाणु शक्ति के असैन्य प्रयोग के क्षेत्र में सहयोग में प्रगति भी शामिल है।”

उल्लेखनीय है कि श्री मोदी की पिछली अमेरिका यात्रा में दोनों पक्षों में इन मुद्दों पर सहमित हुई थी।

उन्होंने कहा, ‘जब वे दोनों (नेता) कल मिलेंगे तो हम उने सारे क्षेत्रों में प्रगति को चिह्नित करेंगे, जो हमारे दोनों देशों के बीच संबंधों की व्यापकता को दर्शाते हैं।”

श्री सुल्लीवन ने यह भी संकेत दिया कि भारत के अपने प्रवास में अमेरिकी राष्ट्रपति लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे विषयों पर भी बोल सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘बेशक, राष्ट्रपति बाइडेन उन महत्वपूर्ण, बुनियादी मूल्यों पर भी बोलेंगे जिनके लिए अमेरिका खड़ा रहता है, और जैसा कि वह (राष्ट्रपति बाइडेन ) अपने सभी कार्यक्रमों में बोलते रहते हैं।”

श्री बाइडेन नयी दिल्ली से वियतनाम के लिए प्रस्थान करेंगे और उससे पहले वह यहां जी-20 शिखर सम्मेलन के कार्यक्रमों भाग लेने आए अन्य देशों के कुछ नेताओं के साथ अलग से भी मुलाकात करेंगे।

श्री बाइडेन की राजधानी में शुक्रवार शाम प्रधानमंत्री निवास पर श्री मोदी से पहली मुलाकात होनी है। दोनों नेता कल विस्तार से द्विपक्षीय चर्चा करेंगे।

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