Thursday, October 17, 2024

आंध्र प्रदेश सरकार ने बदले शराब के नियम, 99 रुपये में मिलेगा पव्वा चाहे कोई ब्रैंड

नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश सरकार ने हाल ही में एक नई शराब नीति अधिसूचित की है, जिससे राज्य को 5,500 करोड़ रुपये के राजस्व की उम्मीद है। इस नीति के तहत, राज्य में शराब की कीमतों में भारी कमी की गई है, और अब प्रत्येक शराब का “पव्वा” (180 मिलीलीटर) केवल 99 रुपये में उपलब्ध है, चाहे ब्रांड कोई भी हो। यह नई नीति 12 अक्टूबर से लागू हुई है और हरियाणा और अन्य राज्यों की नीतियों की तर्ज़ पर बनाई गई है, जहाँ खुदरा दुकानों को कम कीमत पर शराब बेचने की अनुमति दी गई है।

 

सरकार का उद्देश्य न केवल राजस्व बढ़ाना है, बल्कि अवैध शराब व्यापार को रोकना और शराब की बिक्री को अधिक संगठित और नियंत्रित बनाना भी है। राज्य में शराब की कीमतों में यह कटौती निश्चित रूप से उपभोक्ताओं को प्रभावित करेगी, और सरकार को उम्मीद है कि यह कदम वैध शराब की बिक्री को प्रोत्साहित करेगा।

आंध्र प्रदेश सरकार ने राज्य मंत्रिमंडल द्वारा 18 सितंबर को मंज़ूरी दी गई नई आबकारी नीति को लागू किया, जिसे देश के अन्य राज्यों की बेहतरीन नीतियों को ध्यान में रखते हुए रिवाइज़ किया गया है। इस नीति के तहत राज्य में 3,736 शराब दुकानों को अधिसूचित किया गया है। नई नीति का उद्देश्य विशेष रूप से कम आय वाले समूहों को किफ़ायती शराब विकल्प उपलब्ध कराना और अवैध शराब की मांग को नियंत्रित करना है।
सरकार इस नीति के जरिए न केवल वैध शराब की बिक्री को प्रोत्साहित करना चाहती है, बल्कि अवैध शराब से जुड़े जोखिमों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को भी कम करने का लक्ष्य रखती है। इसके अलावा, सरकार सरकारी सप्लाई चेन को भी प्रोत्साहित करेगी कि वे अपने ब्रैंड्स को उचित और प्रतिस्पर्धी दामों पर बेचें, ताकि उपभोक्ताओं को गुणवत्ता और किफ़ायती विकल्प मिल सकें।
आंध्र प्रदेश में पिछले पांच वर्षों के दौरान शराब की बिक्री में लगातार गिरावट देखी गई है, जो लगभग आधी हो चुकी है। इसका प्रमुख कारण शराब की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी और राज्य द्वारा स्थानीय खिलाड़ियों को प्राथमिकता देना बताया जा रहा है।
उच्च कीमतों के चलते कम आय वाले समूहों और आम उपभोक्ताओं के लिए शराब खरीदना महंगा हो गया था, जिससे बिक्री में गिरावट आई। इसके अलावा, राज्य सरकार की नीति ने स्थानीय उत्पादकों और ब्रांडों को तरजीह दी, जिससे अन्य ब्रांडों की उपलब्धता कम हो गई और उपभोक्ताओं के पास सीमित विकल्प बचे। इन कारणों से अवैध शराब की खपत भी बढ़ी, क्योंकि लोग सस्ते विकल्पों की ओर रुख करने लगे।
नई शराब नीति के तहत कीमतों में कमी और प्रतिस्पर्धी बाजार के जरिए सरकार अब इस गिरावट को रोकने और वैध शराब की बिक्री को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है।
इस नीतिगत बदलाव से चंद्रबाबू नायडू सरकार को उम्मीद है कि आंध्र मार्केट में टॉप-3 का प्लेयर बन जाएगा। इस नीति की अवधि दो साल होगी। इससे स्थिरता बढ़ेगी, और खुदरा विक्रेता और प्रोत्साहित हो सकते हैं। भारत की बीयर उद्योग बॉडी ने कहा कि उन्हें राज्य में हज़ारों करोड़ रुपये के निवेश की उम्मीद है, क्योंकि हर शराब की भट्टी की लागत 300 करोड़ रुपये से 500 करोड़ रुपये के बीच है।
आंध्र प्रदेश सरकार की नई शराब नीति के तहत लाइसेंस का आवंटन ऑनलाइन लॉटरी के माध्यम से किया जाएगा, जिससे पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके। इस नीति के अंतर्गत चार श्रेणियों में लाइसेंस निर्धारित किए गए हैं, जिनकी फीस 50 लाख रुपये से 85 लाख रुपये के बीच रखी गई है, जो दुकानों के आकार और स्थान के आधार पर भिन्न होगी।
दुकान मालिकों को उनकी शराब बिक्री पर 20% का लाभ मिलेगा, जो उनके लिए एक स्थिर आय का स्रोत होगा। इसके अलावा, सरकार 12 प्रीमियम दुकानों के लिए विशेष लाइसेंस प्रदान करेगी, जिसकी अवधि पांच साल होगी और इन दुकानों के लिए लाइसेंस शुल्क 1 करोड़ रुपये तय किया गया है। यह विशेष दुकानों को अधिक प्रीमियम ब्रांड्स और हाई-एंड ग्राहक सेवा प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है, ताकि राज्य के राजस्व में वृद्धि हो और उपभोक्ताओं को बेहतर विकल्प मिल सकें।

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