गाजियाबाद। अब आरटीओ कार्यालय सख्त और पारदर्शी ड्राइविंग टेस्ट के जरिए लाइसेंस मिलेगा। अब गाड़ी चलाने और यातायात नियमों का पूरा ज्ञान रखने वालों को ही डीएल जारी किए जाएंगे। इससे सड़क हादसों में कमी की उम्मीद है। संभागीय परिवहन विभाग गाजियाबाद जल्द ही अपना पहला ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर (डीटीसी) शुरू करने जा रहा है। संभागीय परिवहन विभाग यूपी के गाजियाबाद जिले में अपना पहला ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर (डीटीसी) शुरू करने जा रहा है। 16 जनवरी से संभागीय परिवहन विभाग यूपी के गाजियाबाद जिले में अपना पहला ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर (डीटीसी) शुरू करने जा रहा है। यहां ड्राइविंग टेस्ट अत्याधुनिक तरीके से आयोजित होगा। 108 कैमरों की मदद से वाहन चलाने वाले की हर गतिविधि को रिकॉर्ड किया जाएगा।
एआरटीओ गाजियाबाद राहुल श्रीवास्तव ने बताया कि आवेदकों को गाड़ी चलाने के साथ सिम्युलेटर पर टेस्ट देना जरूरी होगा। यह सिस्टम आवेदक की हर गतिविधि को रिकॉर्ड करेगा और उसी के आधार पर आवेदक को पास या फेल किया जाएगा। इस प्रक्रिया से ड्राइविंग टेस्ट में होने वाले फर्जीवाड़े पर रोक लगने और सड़क हादसों में कमी आने की उम्मीद है।
अब तक ड्राइविंग टेस्ट?
एआरटीओ प्रशासन राहुल श्रीवास्तव ने बताया कि अब तक मैनुअल तरीके से ड्राइविंग टेस्ट लिया जाता था। इस प्रक्रिया में कई बार ऐसे लोग भी पास हो जाते थे। जिन्हें गाड़ी चलाना नहीं आता था। यही वजह है कि सड़क हादसों में बढ़ोतरी हो रही थी। गाजियाबाद में प्रतिदिन औसतन 225 लोगों का मैनुअल टेस्ट होता है।
डीटीसी कैसे बदलेगा ड्राइविंग टेस्ट?
डीटीसी में 108 अत्याधुनिक कैमरे लगाए गए हैं। जो ड्राइविंग टेस्ट की हर एक्टिविटी रिकॉर्ड करेंगे। आवेदकों को सिम्युलेटर पर भी टेस्ट देना होगा। यह वास्तविक वाहन चलाने जैसा अनुभव प्रदान करता है। वीडियो रिकॉर्डिंग के माध्यम से टेस्ट में गड़बड़ी की संभावनाएं खत्म हो जाएंगी। टेस्ट का संचालन निजी एजेंसी द्वारा होगा। जबकि पास या फेल का निर्णय सरकारी अधिकारी करेंगे।
दलालों का खेल होगा खत्म:
ड्राइविंग टेस्ट में फर्जी पास कराने वाले दलाल अब बाहर हो जाएंगे। डीटीसी के तहत हर टेस्ट रिकॉर्ड किया जाएगा। जिससे गड़बड़ी की संभावना न के बराबर होगी। यह कदम भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में सहायक होगा। डीटीसी में सख्त और पारदर्शी ड्राइविंग टेस्ट के जरिए केवल उन लोगों को लाइसेंस मिलेगा। जो गाड़ी चलाने और यातायात नियमों का पूरा ज्ञान रखते हैं। इससे सड़क हादसों में कमी की उम्मीद है।
टेस्ट प्रक्रिया में आएगा बदलाव
डीटीसी में एक-एक व्यक्ति का नियम के अनुसार टेस्ट होगा। इससे प्रति दिन टेस्ट की संख्या 50 प्रतिशत तक घट सकती है। दावा है कि इस बदलाव से वेटिंग की समस्या को प्रभावी रूप से प्रबंधित किया जाएगा।
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सिम्युलेटर कैसे करता है काम?
सिम्युलेटर एक वास्तविक कार की प्रतिकृति (प्रोटोटाइप)है। जिसमें स्टीयरिंग, गियर, ब्रेक, पैडल, संकेतक, स्विच और स्पीड कंट्रोल जैसे उपकरण लगे होते हैं। यह हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के माध्यम से संचालित किया जाएगा। ड्राइविंग व्यवहार का अध्ययन करने के लिए प्रयोगशाला की तरह काम करता है। इससे आवेदकों को इको-ड्राइविंग प्रशिक्षण भी प्रदान किया जा सकता है। जो न केवल सुरक्षित ड्राइविंग बल्कि ईंधन की बचत में भी मदद करता है।