Friday, November 22, 2024

अर्जुन अवॉर्डी पहलवान दिव्या काकरान ने पॉवर लिफ्टर सचिन प्रताप संग लिए सात फेरे

मुजफ्फरनगर। अंतरराष्ट्रीय कुश्ती खिलाड़ी दिव्या काकरान शादी के बंधन में बंध गई हैं। मेरठ के एक रिसॉर्ट में दिव्या ने पावरलिफ्टर सचिन प्रताप सिंह के संग सात फेरे लिए। शादी समारोह में केंद्रीय मंत्री डा. संजीव बालियान, राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल, भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह भी पहुंचे।

इस दौरान दिव्या ने कहा, “2020 में ओलंपिक में क्वालीफाई नहीं कर सकी। मगर, अब अपने पति की लक के साथ 2024 में पेरिस से ओलंपिक पदक लेकर लौटूंगी।” दिव्या काकरान इंटरनेशनल रेसलर और अर्जुन अवार्डी पहलवान हैं।
दिव्या काकरान कॉमनवेल्थ में देश को दो बार पदक दिला चुकी हैं। उनके पति सचिन प्रताप सिंह वेस्ट यूपी के शामली जिले के जाफरपुर गांव के रहने वाले हैं। सचिन नेशनल पावरलिफ्टर हैं। दिव्या के ससुर भानु प्रताप सिंह मेरठ पिटीएस में दरोगा हैं।

सचिन के दादा भोपाल सिंह और दिव्या के पिता पहलवान सूरज काकरान दोनों पुराने दोस्त हैं। इसी दोस्ती को अब दोनों परिवारों ने रिश्तेदारी में बदला है। दिव्या की हल्दी, संगीत, मेंहदी की सारी रस्में उनके घर से हुईं। शादी मेरठ में मंडप से की गई है। वाराणसी के पंडितों ने शादी को संपन्न कराया। बहन दिव्या काकरान की शादी समारोह में ही उनके भाई दीपक काकरान की मंगनी नीना के साथ हुई। नीना डाइटीशियन हैं। दिव्या की मां संयोगिता ने आयोजन पूरा कराया। उधर, शादी के दौरान समारोह में सिक्योरिटी गार्ड की लाइसेंसी रिवाल्वर गायब होने से हंगामा हो गया। सूचना पाकर कंकरखेड़ा थाना पुलिस इंस्पेक्टर भी मौके पर पहुंचे। वैवाहिक जोड़े को आशीर्वाद देने के लिए लंदन स्पोर्ट्स के संचालक अपूर्व, विनीत त्यागी, सनी राणा व अन्य लोग शामिल हुए।

सचिन प्रताप के पिता भानुप्रताप सिंह पुलिस विभाग में प्रशिक्षक हैं। मेरठ पीटीएस में हैं और परिवार वहीं कैंपश के अंदर ही रहता है। सचिन भाई बहनों में बड़े हैं। सचिन की दो छोटी बहनें हैं।

दिव्या काकरान राष्ट्रीय-अतंर्राष्ट्रीय स्तर पर अब तक 77 मेडल जीत चुकी हैं। 2020 में उन्हें अर्जुन अवार्ड मिल चुका है। नवंबर 2021 में सर्बिया में हुई वर्ल्ड चैम्पियनशिप में दिव्या ने कांस्य पदक प्राप्त किया था। दिव्या के पिता सूरजवीर ने बताया कि दिव्य ने ओलंपिक को छोड़कर कुश्ती की सभी स्पर्धा में पदक हासिल कर लिया है। दिव्या फिलहाल रेलवे में नौकरी भी कर रही हैं।

दिव्या के पिता सूरजसेन पहलवान हैं। वह पहलवानों के लिए लंगोट भी बनाकर बेचते हैं। दिव्या की मां संयोगिता पहलवानों के लंगोट सिलती थी। एक बार बेटी के खेल की खातिर मां ने अपना मंगलसूत्र भी बेच दिया था। बेहद गरीबी में दिव्या ने गांव से निकलकर अंतराष्ट्रीय फलक पर नाम कमाया है। दिव्या का बड़ा भाई देव भी पहलवान है। देव ने हाल में अपना एक जिम गांव में ही खोला है। दिव्या की शादी समारोह में ही उनके भाई देव की मंगनी हुई है। देव ही दिव्या की डाइट और प्रैक्टिस का ख्याल रखता है।

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