केला सिर्फ एक फल ही नहीं है, बल्कि वह अनेक रोगों से लडऩे वाला योद्धा भी है। केले के माध्यम से मस्तिष्क को सेरोटोनिन नामक पदार्थ मिलता है। सेरोटोनिन की कमी के कारण मानसिक परेशानी उपस्थित हो जाती है। केले के सेवन से मस्तिष्क को सेरोटिन की पूरी खुराक मिल जाती है।
केले में मोटापा बढ़ाने वाला कोलेस्ट्रोल नामक तत्व नहीं होता। इसमें आवश्यक मात्रा में पोटेशियम पाया जाता है। पोटेशियम उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करता है साथ ही अनेक प्रकार के हृदय रोगों में भी लाभ पहुंचता है। केले में पाया जाने वाला कैल्शियम आंतों की सडऩ को रोकता है तथा आंतों की सफाई करने में भी अत्यंत प्रभावकारी भूमिका निभाता है।
पके हुए केले में विशिष्ट खुशबू उसमें उपस्थित एमाइल एसीटेट के कारण रहती है। कच्चा केला क्लोरोफिल नामक तत्व के कारण हरा रहता है किन्तु पकने के बाद एंजाइमों की क्रिया से जेथोफिल तथा करोटिन नामक पीले रसायनों में बदल जाता है। केले के छिलके के नीचे विटामिन होते हैं जो केले के पकने पर उसके गूदे में चले जाते हैं, साथ ही छिलका पतला तथा काला चित्तीदार हो जाता है। केले में फास्फोरस अधिक होता है जो मन तथा मस्तिष्क को शक्ति प्रदान करता है। केले में पैक्टिन नामक एक ऐसा पदार्थ पाया जाता है, जो मल को मुलायम बनाकर पेट की सफाई करता हैं।
केले के नियमित सेवन से अनिद्रा दूर होती है साथ ही कब्ज भी दूर होता है। पेशाब की जलन को दूर करने में केला रामबाण सिद्ध होता है। इसे अतिसार, आंत एवं कुष्ठ रोग तथा हृदय रोगों की प्राकृतिक औषधि माना जाता है। केले के छिलके के अन्दर वाला पतला एवं मुलायम रेशा कब्ज को दूर करके आंतों को ठीक रखता है। केले में क्षारधर्मी गुण भी पाया जाता है। इसी कारण इसके सेवन से खून की अम्लता दूर होती है।
केले के सेवन से कमजोर व्यक्तियों की पाचनशक्ति ठीक होती है। इसके सेवन से बच्चों का वजन शीघ्र बढ़ता है। केला भूख को बढ़ाता है और बच्चे रूचिपूर्वक भोजन करके हष्ट-पुष्ट बनते हैं। बच्चों को दूध के साथ केला खिलाते रहने से उनका स्वास्थ्य संतुलित रहता है। शहद के साथ मिलाकर केला खिलाते रहने से अनेक संक्रामक रोगों से बचाव होता है। सुबह नाश्ते में एक केला खाकर दूध पी लेने से पित्त विकार दूर हो जाते हैं।
दही के साथ केले के सेवन करने से दस्त बंद हो जाते हैं। यह आंतों के प्रवाह में आराम दिलाता है। आंत के रोगों को केला बिना ऑपरेशन ठीक करने की क्षमता रखता है। पेट के जख्म में केले को आवश्यक रूप से दिया जाता है। इससे पेट का अल्सर भी दूर हो जाता है।
पेचिश में केले को दही के साथ मथकर, उसमें थोड़ा जीरा तथा काला नमक मिलाकर देने से त्वरित फायदा होता है। अम्लता, पेट की जलन और पित्त में केला खाना लाभदायक माना जाता है। नकसीर नाक से खून निकलने में दो-तीन पके केलों का गूदा, दूध व शक्कर मिलाकर पिलाने से लाभ होता है। पके केले को मंद आंच में पकाकर, नमक तथा काली मिर्च मिलाकर खिलाने से दमे के रोगी को लाभ पहुंचता है। बार-बार पेशाब लग रहा हो तो बार-बार केला खाइए, लाभ मिलेगा।
जिन स्त्रियों या कुंवारी लड़कियों के योनि (पेशाब के मार्ग) से सफेद पानी निकलने की शिकायत हो उन्हें कुछ दिनों तक नियमित रूप से दो-तीन पके केले खाते रहने चाहिए। प्रदर रोग में एक पका हुआ केला, पांच ग्राम घी के साथ कुछ दिनों तक सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है।
दाद, खाज, खुजली आदि चर्म रोगों में पके केले के गूदे में नींबू का रस मिलाकर मलहम की तरह लगाने से लाभ होता है। जलने पर केले के गूदे को मलहम की तरह लगाने पर जलन शांत होती है, साथ ही फफोले भी नहीं पड़ते हैं।
पके केले के गूदे में थोड़ा आटा मिलाकर गूंथकर थोड़ा गर्म करके सूजन वाले स्थान पर लगाने से सूजन दूर हो जाती हैं। चोट लगने पर केले का छिलका बांधने से आराम होता है। घाव पर केले का रस लगाकर पट्टी बांध देने से घाव शीघ्र भर जाता है।
खाली पेट केला खाना, रात में केला खाना तथा केला खाकर पानी पीना हानिकारक होता है। केले की जड़ मासिक धर्म की अनियमितता को दूर करने में रामबाण की तरह काम करती है।
– पूनम दिनकर