Sunday, April 27, 2025

बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर को मिली हरी झंडी, हाईकोर्ट ने कहा, सरकार न तो मंदिर के प्रबन्धन और न ही उसके पैसों का करेगी उपयोग

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा बृंदावन ठाकुर बांके बिहारी मंदिर कोरिडोर की सरकारी योजना को हरी झंडी दे दी है और राज्य सरकार का कानूनी प्रक्रिया के तहत दर्शन प्रभावित किए बगैर अपने धन से लोक व्यवस्था, जन स्वास्थ्य, सुरक्षा व जन सुविधा प्रदान करने का अपना वैज्ञानिक दायित्व पूरा करे।

कोर्ट ने साफ कहा कि मंदिर के बैंक खाते में जमा 262.50 करोड़ रुपये को न छुआ जाये। साथ ही मंदिर प्रबंधन में हस्तक्षेप न हो। किंतु कोर्ट ने मंदिर प्रबंधन को भी कहा है कि किसी भी श्रद्धालु को दर्शन करने को प्रतिबंधित न करें। जिला प्रशासन आदेश का पालन सुनिश्चित कर अगली सुनवाई की तिथि 31 जनवरी को अपनी रिपोर्ट पेश करे।

कोर्ट ने कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 25 व 26 में मिला धार्मिक अधिकार पूर्ण नहीं है। ये मौलिक अधिकार कुछ हद तक लोक व्यवस्था के अधीन है। उचित अवरोध लगाया जा सकता है। कोर्ट ने कहा लोकहित का कार्य पंथ निरपेक्षता का क्रिया कलाप है। कोर्ट ने सरकार को तकनीकी विशेषज्ञ की सहायता से गलियों का अतिक्रमण हटाकर कोरिडोर योजना अमल में लाये और देखें दोबारा अतिक्रमण न हो, और उस पर तुरंत एक्शन हो।

[irp cats=”24”]

यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर तथा न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने अनंत कुमार शर्मा व अन्य की जनहित याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता श्रेया गुप्ता, सेवायतों की तरफ से संजय गोस्वामी, राज्य सरकार की तरफ से महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र, अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल व मुख्य स्थाई अधिवक्ता कुणाल रवि आदि ने बहस की।

गोस्वामियों की तरफ से याचिका की पोषणीयता पर आपत्ति की गई तथा कहा गया कि यह निजी मंदिर है, सरकार को इसके प्रबंधन में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। किंतु उन्होंने यह भी कहा कि यदि सरकार मंदिर के बाहर कॉरिडोर योजना बनाती है तो उन्हें आपत्ति नहीं है। मंदिर के चढ़ावे को सरकार न ले। अपने धन से खर्च करें।

जनहित याचिका पर्व के समय होने वाली पांच लाख की भारी भीड़ व अव्यवस्था से श्रद्धालुओं की मौत की घटना को देखते हुए लोक व्यवस्था व सुविधाएं मुहैया कराने की मांग को लेकर दायर की गई है। कुंज गली व कुछ पौराणिक महत्व के मंदिरों को नुकसान न पहुंचाने व पुरातात्त्विक महत्व को बरकरार रखने की भी कुछ सेवायतों की तरफ से दलील दी गई। 31 मार्च 1939 की कोर्ट डिक्री का भी हवाला दिया गया।

सरकार ने 20 अगस्त 2022 को अनियंत्रित भीड़ के कारण दो श्रद्धालुओं की मौत व कई के घायल होने की पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह की अध्यक्षता में कमेटी गठित की और भीड़ प्रबंधन की योजना तैयार की। भीड़ प्रबंधन को लेकर हाईकोर्ट के पूर्व न्यायमूर्ति सुधीर नारायण का एक आयोग भी गठित किया। सरकार ने मंदिर कॉरिडोर योजना पेश की किंतु वह मंदिर के चढ़ावे से योजना का खर्च करना चाहती थी। कोर्ट ने इसकी अनुमति नहीं दी है और कहा अपने खर्चे पर योजना पर अमल करे। कोर्ट ने कहा कि मानव जीवन किसी की आपत्ति पर असुरक्षित नहीं छोड़ा जा सकता, भले ही निजी मंदिर हो। यदि श्रद्धालुओं की अनियंत्रित भीड़ दर्शन को आती है तो सरकार का दायित्व है कि वह लोक व्यवस्था व जीवन सुरक्षा के कदम उठाए।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

80,337FansLike
5,552FollowersFollow
151,200SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय