Friday, November 22, 2024

भाकियू का धरना तीसरे दिन भी रहा जारी, बारिश भी नहीं डिगा पाई किसानों के हौसले, टेंट और हुए मजबूत

मुजफ्फरनगर। जोरदार बारिश के साथ कड़ाके की ठंड भी जीआईसी मैदान में भाकियू के अनिश्चितकालीन आंदोलन को डिगा नहीं पाई और तीसरे दिन भी किसान धरना स्थल पर डटे रहे।

यही नहीं तेज हवाओं से उड़े तंबुओं को और मजबूती के साथ लगाना शुरू कर दिया। धरनास्थल से भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने प्रदेश सरकार पर किसानों के साथ वादाखिलाफी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि किसानों को वादे के मुताबिक न गन्ने का भुगतान मिल रहा और न ही एमएसपी पर खरीद हो रही।

उन्होंने कहा कि ऊपर से अधिकारी बिजली-पानी के अलावा अन्य मामलों में फंसाकर मुकदमे दर्ज करने में जुटे हैं। अभी किसान आंदोलन के दौरान ही दर्ज सैकड़ों मुकदमे वापस नहीं लिए गए हैं, इसलिए हम मांग करते हैं कि जो किसानों के वाजिब हक हैं, उन्हें सरकार दिलाए। आंदोलन के दौरान शहीद किसानों के परिजनों को बाकी राज्यों की तर्ज पर प्रदेश सरकार मुआवजा दे।

राकेश टिकैत ने कहा कि दिल्ली बॉर्डर पर किसानों ने 14 माह तक गर्मी, बारिश और कड़क सर्दी झेली है। किसान अपने हकों के लिए आंदोलन की पहली पाठशाला में अव्वल नंबर से उत्तीर्ण हुआ है, इसलिए अब वही तर्जुबा किसानों के काम आ रहा है। बारिश को किसानों ने प्रसाद के रूप में ग्रहण किया है, इसलिए टैंटों को और भी मजबूती के साथ लगाने में जुट गए हैं।

उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि आंदोलन की मजबूती के लिए अब ट्रैक्टर-ट्रॉली पर झोपड़ी बनाकर आंदोलन स्थल की ओर कूच करें। यह किसानों के आंदोलन का असली हथियार होगा।

चौधरी  टिकैत ने केंद्र और प्रदेश सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि समय रहते किसानों की मांगें नहीं मानी गई, तो यूपी ही नहीं हरियाणा और पंजाब का किसान भी मुजफ्फरनगर के लिए कूच कर सकता है। उन्होंने कहा कि उनकी एसकेएम के नेताओं से बातचीत भी हुई है और उन्होंने आंदोलन को हर तरह का सहयोग देने का आश्वासन दिया है।

पहले हम प्रदेश सरकार की नीयत देख रहे हैं। समय रहते किसानों की मांग मान ली गई, तो ठीक वरना किसान आर-पार की लड़ाई के लिए मजबूर होगा।

उन्होंने कहा कि बिजली बिलों के नाम पर किसानों का शोषण हो रहा है। अधिकारी सुनने को तैयार नहीं। किसानों पर मुकदमे लिखे जा रहे, उन्हें जेलों में भेजा जा रहा। गन्ने का मूल्य बढ़ाया नहीं और पिछले साल का बकाया अभी तक नहीं दिया। किसान आत्महत्या के कगार पर जा पहुंचा है। इसलिए वह हक मांगने आया है कोई भीख नहीं।

उन्होंने कहा कि यूपी से एक दर्जन किसान आंदोलन में शहीद हुए। बाकी राज्यों ने शहीद किसान परिवारों को आर्थिक सहायता दी। बल्कि किसानों का दर्द तेलंगाना सरकार ने महसूस किया और उन्हें आर्थिक मदद दी। वहीं, किसानों की हितैषी कहने वाली यूपी सरकार ने कोई मदद नहीं की। किसान सब देख रहा है।

आसपास के किसानों को किया अलर्ट: चौधरी राकेश टिकैत ने आज मुजफ्फरनगर के अलावा पड़ोसी जनपदों के किसानों से अलर्ट मोड पर रहने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों की न सुनी, तो पड़ोसी जनपदों के कार्यकर्ता भी मुजफ्फरनगर कूच कर सकते हैं। उन्हें तैयार रहने के लिए कहा गया है।

सभी जिलाध्यक्षों को इसकी सूचना भेजी जा रही है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा जरूरत पड़ी, तो संयुक्त किसान मोर्चा से भी आंदोलन में भागीदारी करने की अपील की जाएगी, ताकि यह आंदोलन एक बार फिर दुनिया के लिए नजीर बन सके।

 

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