Friday, November 22, 2024

मुजफ्फरनगर कचहरी में 17 दिन से गन्ना मूल्य को लेकर चल रहा भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक का धरना समाप्त

मुजफ्फरनगर । गन्ना मूल्य वृद्धि को लेकर भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक का आंदोलन समाप्त हो गया है, किसानों ने गन्ना मूल्य वृद्धि को नाकाफी बताया है। कचहरी में भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक का 17 दिन तक चला गन्ना मूल्य वृद्धि हेतु आंदोलन आज गन्ना मूल्य वृद्धि की घोषणा के बाद समाप्त हो गया। किसानो ने कहा है कि 20 रुपए की वृद्धि किसानो के साथ मजाक है। वक्ताओं ने कहा कि किसान कम से कम 400 रुपए प्रति क्विंटल गन्ना मूल्य चाहता था, सरकार ने जो दिया है वह ठीक है, लेकिन लाभकारी मूल्य की लड़ाई जारी रहेगी। उत्तर प्रदेश में 28.5 लाख हैक्टेयर भूमि में गन्ने की खेती की जाती है जिसमे पिछले सत्र में लगभग 24 करोड़ कुंतल गन्ना चीनी मिलों को आपूर्ति किया गया है ।

 

यदि 2022- 23 के सत्र में उत्तर प्रदेश में पंजाब के बराबर भाव मिलता तो किसानों को 720 करोड़ रूपए ज्यादा मिलते । यदि हरियाणा के बराबर भाव मिलता तो 528 करोड़ रूपए ज्यादा मिलते।

 

यदि पिछले दो सत्रों की बात की जाए तो हरियाणा के किसानों के बराबर गन्ना मूल्य उत्तर प्रदेश के किसानों को मिलता तो 816 करोड़ रूपए ज्यादा मिलते। यदि पंजाब के आधार पर देखा जाए तो पिछले दो सत्रों में उत्तर प्रदेश के किसानों को 960 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।

 

भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि सोई सरकार को किसानो ने जगाने का कार्य किया है। सरकार ने गन्ना मूल्य वृद्धि का जो निर्णय किया है वह किसान हित में नहीं है। दूसरे राज्यों में गन्ना मूल्य अधिक है। हम सरकार के इस निर्णय के विरुद्ध आंदोलन करेगे। उत्तर प्रदेश में गन्ना मूल्य सबसे कम है। मिलो को इससे मुनाफा होगा।

 

किसान नेता भी राजनैतिक उपलब्धियां गिनाने में व्यस्त है। ऐसे किसान संगठन किसानो को धोखा दे रहे है। किसानों को इनसे बचकर रहना होगा। किसानो का एकमात्र हितेषी संगठन भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक है। किसानो को अपने संगठन को मजबूत करना होगा।

 

भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक के जिलाध्यक्ष अंकित चौधरी ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग और राष्ट्रीय राजमार्ग, डीएफसीसी में अगर किसानो की समस्याओं का निस्तारण नहीं किया गया तो 10 फरवरी से सारे निर्माण कार्य बंद कराए जाएंगे। जब तक किसानो का मुआवजा नहीं दिया जाता एवं उनकी समस्याओं का निस्तारण नहीं होता, तो टोल भी बंद कराया जायेगा

 

धरने पर अपर जिलाधिकारी प्रशासन ने पहुंचकर आंदोलन को समाप्त करने का आग्रह किया, जिस पर अंकित चौधरी ने कहा कि यह आंदोलन हमारा गन्ना मूल्य वृद्धि पर था लेकिन हम संतुष्ट नहीं है। अगर जनपद की समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो हम बड़ा आंदोलन करेंगे। अपर जिलाधिकारी को गन्ना मूल्य पर पुनर्विचार करने का ज्ञापन माननीय मुख्यमंत्री से संबोधित ज्ञापन दिया गया। उधम सिंह संगठन मंत्री ने कहा कि जो मिला उसे लेकर आगे की लड़ाई जारी रहेगी।

 

पूरे आंदोलन का नेतृत्व उधम सिंह मंत्री ने किया। सभा को नीरज पहलवान, अक्षय त्यागी युवा जिलाध्यक्ष,विपिन त्यागी,सुरेंद्र रावल,मुर्तजा बालियान,मोहित मलिक आदि ने संबोधित किया।

 

धरना स्थल पर जावेद आलम,सोनू, सतेन्द्र तोमर,संजीव,आजाद,नसीम अहमद,सुधीर,दुष्यंत मलिक,अर्जुन नरवाल, सहेंद्र कुमार, अनोज मलिक, पप्पल चौधरी सहित अनेक किसान मौजूद रहे। भाकियू जिलाध्यक्ष अंकित तोमर द्वारा मुख्यमंत्री से मांग की गई हैं कि गन्ना पेराई सत्र 2023-24 हेतु राज्य परामर्शी मूल्य में की गई 20 रुपए गन्ना मूल्य वृद्धि पर पुनर्विचार किए जाने हेतु मांग की गई है।

 

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गन्ना पेराई सत्र 2023-24 के गन्ना मूल्य का निर्धारण आज 20 रुपए बढ़ाकर घोषित किया गया है। सरकार के इस कदम का किसान धन्यवाद करते हुए यह कहना चाहते हैं कि इस बार प्राकृतिक आपदा एवं बीमारी के चलते गन्ना का उत्पादन कम होने के कारण शुगर मिलो एवं कोल्हू/क्रेशर में प्राइसवार छिड़ी हुई है। क्रेशर में 400 कुंतल तक गन्ना खरीदा जा रहा है। पंजाब में गन्ने का मूल्य 391 रुपए प्रति क्विंटल एवं हरियाणा में गन्ने का मूल्य 385 रुपए घोषित किया जा चुका है। पिछले वर्ष वर्तमान मूल्य पर चीनी की कीमत 32 रू किलोग्राम,शीरे की कीमत 300 रु क्विंटल, बैगास 150 रू क्विंटल थी। इस वर्ष चीनी की कीमत 42 रु क्विंटल,शीरे की कीमत 1300 रू क्विंटल,बैगास 300 रू क्विंटल है। एथनॉल के दाम भी लगभग 7 रु लीटर बढ़े है। गन्ने से बनने वाले सभी उत्पाद में लगभग 25% कम से कम वृद्धि हुई है। किसानो की उत्पादन लागत में वृद्धि एवं उत्पादन में कमी आई है। कचहरी परिसर में पिछले 17 दिन से चल रहे गन्ना मूल्य वृद्धि आंदोलन के माध्यम से मांग करती है सरकार अपने गन्ना मूल्य वृद्धि के फैसले पर पुनर्विचार कर किसानो को कम से कम 400 रुपये प्रति क्विंटल किया जाए।

 

जिलाधिकारी से जनपद में किसानो की समस्याओं के समाधान की मांग की गई है। भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेन्द्र मलिक ने बताया कि जनपद में किसानों को कई समस्याओं का समाधान लंबे समय से नहीं हो पा रहा है, जिससे किसानों को अधिकारियों के चक्कर लगाने पद रहे हैं। कचहरी परिसर में चलाए जा रहे आंदोलन के माध्यम से मांग की है कि जनपद में आवारा पशुओं से रोज जानमाल का नुकसान हो रहा है। किसानो को आवारा पशुओं से निजात दिलाई जाये।

 

चकबंदी में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त किया जाय। जनपद के ग्राम खामपुर, चौकड़ा की चकबंदी का पुनर्निरीक्षण कराया जाये। जनपद में निर्मित राष्ट्रीय राजमार्ग 709 एड़ी में किसानो की समस्याओं जैसे सिंचाई की नाली, चौराहों का सुरक्षात्मक डिजाईन, चकरोड की मरम्मत, आर्बिट्रेशन का निस्तारण,ज्ञबिजली की शिफ्टिंग हेतु जमीन का अधिग्रहण राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा किया जाना, ग्राम धौलरी के मार्ग को खुलवाया जाना आदि समस्याओं का निस्तारण किया जाये। किसानो को सामान्य योजना में स्वीकृत निजी नलकूपों का सामान दिलाया जाए। ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली के बिल ठीक कराए जाये।
शुगर मिलों में हो रही घटतौली को रोकने हेतु विशेष टीम बनाई जाये। जनपद में स्वस्थ विभाग में भ्रष्टाचार बड़े पैमाने पर है। सभी शिकायती का संज्ञान लेकर कठोर कार्यवाही की जाए।

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