प्रयागराज। एससी-एसटी मामले में हाईकोर्ट ने का बड़ा फैसला लिया है। जिसमें किसी व्यक्ति का अपमान या धमकी एसटी एक्ट के तहत अपराध तभी माना जाएगा जब तक की ऐसी टिप्पणी सार्वजनिक स्थान पर की गई हो।
वहीं न्यायमूर्ति शमीम अहमद ने कहा कि किसी व्यक्ति पर एससी/एसटी अधिनियम की धारा 3(1)(एस) के तहत अपराध के लिए मुकदमा तभी चलाया जा सकता है, जब उसके द्वारा कही गई बातें किसी भी “सार्वजनिक ” स्थान पर की गई हों। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य की जाति का नाम लेकर मौखिक दुर्व्यवहार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (एससी/एसटी अधिनियम) के तहत अपराध नहीं होगा यदि ऐसी घटना उस घर के भीतर घटती है जहां कोई बाहरी व्यक्ति मौजूद नहीं होता है।