Saturday, April 26, 2025

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, बांग्लादेश से भारत आए शरणार्थियों को मिलेगी नागरिकता

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट के इस महत्वपूर्ण फैसले में नागरिकता कानून की धारा 6A की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा गया है। यह धारा 1985 के असम समझौते के तहत लागू की गई थी, जिसका उद्देश्य असम में बांग्लादेशी शरणार्थियों की नागरिकता के सवाल को सुलझाना था। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि 1 जनवरी 1966 से 25 मार्च 1971 के बीच ईस्ट पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से असम में आए लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी, जबकि इसके बाद आने वाले लोग अवैध नागरिक माने जाएंगे।

इस फैसले का प्रभाव असम के जनसांख्यिकी और राजनीतिक स्थिति पर महत्वपूर्ण रहेगा, क्योंकि यह शरणार्थियों की नागरिकता से जुड़े विवादों को कानूनी रूप से सुलझाने का प्रयास है।

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने आज नागरिकता कानून की धारा 6A को 4:1 के बहुमत से संवैधानिक रूप से वैध ठहराया है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत, एमएम सुंदरेश और मनोज मिश्रा ने इस बहुमत का हिस्सा बनते हुए धारा 6A के पक्ष में फैसला दिया, जबकि जस्टिस जेबी पारदीवाला ने असहमति जताई।

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धारा 6A 1985 में असम समझौते के तहत लागू की गई थी, जिसका उद्देश्य उन बांग्लादेशी अप्रवासियों को नागरिकता प्रदान करना था, जो 1 जनवरी 1966 से 25 मार्च 1971 के बीच असम आए थे। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने स्पष्ट किया कि बहुमत का यह निर्णय धारा 6A को संवैधानिक रूप से वैध ठहराता है, जिससे इस अवधि के भीतर आए लोगों की नागरिकता पर कोई खतरा नहीं होगा।

जस्टिस जेबी पारदीवाला ने अपने असहमति नोट में इस संशोधन को गलत ठहराया, लेकिन बहुमत के फैसले ने इसे सही माना और धारा 6A की संवैधानिकता को बरकरार रखा।

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