देहरादून। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जों को लेकर सत्ताधारी भाजपा को घेर लिया है। उन्होंने कहा कि सरकारी जमीनों से अवैध कब्जे हटाने की कार्रवाई सही है, लेकिन इसकी शुरुआत देहरादून से होनी चाहिए, क्योंकि देहरादून में रोज अवैध निर्माण हो रहे हैं। नदी-नाले सब घेर दिए गए हैं। इतना ही नहीं, सरकारी जमीनों पर 99 फीसदी अवैध कब्जा भाजपाइयों ने किया है।
पूर्व मुख्यमंत्री के आरोप का जवाब देते हुए शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि अवैध कब्जा कहीं पर, किसी भी प्रकार का हो और किसी के भी द्वारा हो, हटना चाहिए। साथ ही कहा कि यह भाजपा और कांग्रेस का विषय नहीं है। लिहाजा, जो भी व्यक्ति अवैध कब्जा करता है। सरकार अवैध कब्जा हटाने के लिए कटिबद्ध है।
सरकार अवैध मजारों के बाद अब अवैध मदरसों पर बुलडोजर चला रही है। अब तक दो अवैध मदरसे ध्वस्त किए जा चुके हैं। इस समय में प्रदेशभर में करीब 700 मदरसे हैं, जिनमें से करीब 400 मदरसे मदरसा बोर्ड में रजिस्टर्ड हैं। बाकी मदरसे अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं।
अक्टूबर में नैनीताल के ज्योलीकोट के वीरभट्टी स्थित अवैध मदरसे में बच्चों के साथ गलत हरकतें समेत तमाम अनियमिताओं का मामला सामने आया था, जिसके बाद सरकार ने प्रदेश में संचालित मदरसों के सत्यापन के निर्देश दिए थे। उसके बाद से कई मदरसों पर सीलिंग की कार्रवाई की जा चुकी है। हल्द्वानी-रुद्रपुर हाईवे पर टांडा से सटे जंगल में अवैध रूप से मस्जिद और मदरसे का संचालन होना सामने आया। प्रशासन ने 18 अक्टूबर को अवैध मदरसे समेत एक एकड़ में फैले धार्मिक अतिक्रमण पर बुलडोजर चला दिया। इसके बाद नैनीताल जिले के ज्योलीकोट के वीरभट्टी में संचालित अवैध मदरसे पर प्रशासन ने 2 नवंबर को बुलडोजर चला दिया था। यह वही मदरसा था, जिसमें सबसे पहले बच्चों के साथ गलत व्यवहार का मामला सामने आया था।
उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने कहा कि यह सरकार पारदर्शी है। अवैध कब्जा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अगर शिक्षण संस्थाओं की तरफ से किसी भी तरह की गड़बड़ है, तो उसका कर्तव्य है कि उसे ठीक करे। अगर कहीं अनियमिता पाई जाती है तो सरकार का पहला फर्ज है कि उस पर कार्रवाई करे। मदरसों का आचरण देवभूमि के अनुरूप होना चाहिए।