लखनऊ। उत्तर प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगा रही दो मीटर निर्माता कंपनियां गोवा में ब्लैकलिस्टेड हैं। उसमें से मध्यांचल निगम ने एक टेंडर में एचपीएल का पार्ट बिड न खोलकर कंपनी के ब्लैकलिस्टेड होने का हवाला देते हुए उसे बाहर कर दिया, लेकिन वहीं एक दूसरे टेंडर में दोनों ब्लैकलिस्टेड कंपनियों का टेंडर का भाग दो खोल दिया गया।
इस मामले में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने बड़ी गड़बड़ी होने की आशंका जताई है। उधर दूसरी तरफ स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगा रही दोनों ब्लैकलिस्टेड कंपनियों के बारे में मध्यांचल विद्युत निगम और पूर्वांचल विद्युत निगम ने गोवा से जानकारी मांगी है। इससे कंपनियों में हड़कंप मच गया है। इस मामले में पावर कारपोरेशन फूंक-फूंककर कदम रख रहा है।
उपभोक्ता परिषद ने सवाल किया कि पहले एक टेंडर में जब मध्यांचल ने मीटर कंपनी के गोवा में ब्लैकलिस्टेड होने का हवाला देकर टेंडर नहीं खोला। वहीं उन्हीं दोनों ब्लैकलिस्टेड कंपनियों के होने के बावजूद दूसरा टेंडर कैसे खोल दिया गया। इस मुद्दे पर उपभोक्ता परिषद ने उच्च् स्तरीय जांच की मांग की है।
उत्तर प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगा रही दो कंपनियां जीनस व एचपीएल जो गोवा में ब्लैकलिस्टेड हैं, जहां उत्तर प्रदेश में जीनस को 7000 करोड से ऊपर का स्मार्ट प्रीपेड मीटर का टेंडर मिला है, वही एचपीएल उत्तर प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर का टेंडर पानी वाली कंपनियां के निर्देश पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर सप्लाई कर रही है यानी कि दोनों कंपनियों के स्मार्ट प्रीपेड मीटर उत्तर प्रदेश में लग रहे हैं।
अंततः उपभोक्ता परिषद की लडाई रंग लाई 4 दिन पहले मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने इलेक्ट्रॉनिक मीटर के लगभग 21 लाख मीटर के टेंडर में एचपीएल कंपनी का भाग दो इसलिए नहीं खोला, क्योंकि वह गोवा में ब्लैक लिस्टेड है और इस बात को टेंडर पोर्टल पर अपलोड भी कर दिया लेकिन एक दूसरा नया मामला सामने आया कि दोनों कंपनियां गोवा में 5 अगस्त को ब्लैकलिस्टेड की गई थी।
ऐसे में 24 अगस्त को उत्तर प्रदेश में मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने एक दूसरा टेंडर खुला उसमें भी या दोनों कंपनियां जीनस व एचपीएल दोनों का क्यों भाग दो पार्ट बिड क्यों खोला गया यदि मध्यांचल विद्युत वितरण निगम को इसकी जानकारी नहीं थी तो दोनों मीटर निर्माता कंपनियों की जिम्मेदारी बनती थी वह मध्यांचल को अवगत कराती कि वह गोवा में ब्लैकलिस्टेड हो गई। इसलिए उनका बिड पार्ट न खोला जाए।
यह सभी बिजली कंपनियों के लिए थंब रूल है कि कोई भी कंपनी यदि ब्लैकलिस्टेड होगी तो उसका टेंडर नहीं खुलेगा हां ब्लैक लिस्ट होने के पहले जो टेंडर उसे मिल चुका है उसकी छानबीन होगी उस पर क्या निर्णय होगा यह प्रबंधन की जिम्मेदारी। लेकिन हर हाल में उच्च गुणवत्ता को बनाए रखना सब की जिम्मेदारी है।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा मध्यांचल विद्युत वितरण निगम का कहना है कि जब 24 अगस्त को टेंडर खोला गया तो उनकी जानकारी में नहीं था कि वह दोनों मीटर कंपनियां 5 अगस्त को गोवा में ब्लैकलिस्टेड है लेकिन 4 दिन पहले जब 19 सितंबर को टेंडर खोला गया तो उनकी जानकारी में आ गया था कि गोवा में ब्लैक लिस्टेड है। इसलिए एचपीएल का भाग 2 टेंडर नहीं खोला गया और प्रपत्र में मीटर कंपनी गोवा में ब्लैक लिस्टेड है या दर्ज कर दिया गया।
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने पावर कार्पोरेशन प्रबंधन से मांग उठाई है कि बिजली कंपनियों ने गोवा को पत्र भेज दिया है कि दोनों कंपनियां किस कारण से ब्लैक लिस्ट की गई है लेकिन इस गंभीर मामले पर जल्द से जल्द रिपोर्ट मंगा कर आगे की कार्यवाही की जानी चाहिए।