नोएडा। जीवन भर की जमापूंजी एक बिल्डर को देने के बाद धोखधड़ी से परेशान डब्ल्यूटीसी प्रोजेक्ट के बायर्स ने सोमवार को सेक्टर-29 स्थित नोएडा मीडिया क्लब में एक प्रेसवार्ता की।
प्रेस वार्ता के दौरान डब्ल्यूटीसी आईटी/आईटीईएस प्रोजेक्ट के पीड़ितों में शामिल विपुल गुप्ता और जयश्री गुप्ता ने कहा कि टेक 1 और 2, 1डी, 1ई, सिग्नेचर टेक-जोन, प्लाजा, क्वाड, क्यूबिड और रिवरसाइड रेजीडेंसी यमुना एक्सप्रेस एवं डब्ल्यूटीसी सीबीडी सेक्टर-132 में है। उसके डब्ल्यूटीसी नोएडा डायरेक्ट आशीष भल्ला ने लगभग 5000 करोड़ रुपए और 20 हजार खरीदार एवं इन्वेस्टरों के साथ धोखा किया हैं। उन्होंने कहा कि जीवन भर की जमापूंजी बिल्डर को देने के बाद भी बायर्स ठगे गए हैं। रेरा, प्राधिकरण सहित अन्य जगहों पर शिकायत देने के बाद भी बिल्डर की मनमानी जारी है।
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उन्होंने कहा कि डब्ल्यूटीसी नोएडा के मालिक आशीष भल्ला ने वर्ष 2010 से पहली कंपनी एएन बिल्डवेल के साथ धोखाधड़ी शुरू कर दी थी। आशीष भल्ला का काम करने का तरीका यह है कि वह डब्ल्यूटीसी एसोसिएशन यूएसए से फ्रेंचाइजी लेता है, मुख्य रूप से भारत में इन्वेस्टर्स क्लिनिक और विदेशों में स्क्वायर यार्ड और उनके विभिन्न बिक्री एजेंटों को बेचता है क्योंकि प्रॉपर्टी एजेंट डब्ल्यूटीसी नोएडा परियोजनाओं को डब्ल्यूटीसीए यूएसए परियोजनाओं के रूप में बेचता है और खरीदारों से भारी प्रीमियम लेता है और डब्ल्यूटीसी नोएडा आशीष भल्ला प्रॉपर्टी एजेंटों को भारी कमीशन देता है। यदि हम डब्ल्यूटीसीए यूएसए को लिखते हैं, तो वे हमें बताते है डब्ल्यूटीसी नोएडा की उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं है। जबकि कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के अनुसार डब्ल्यूटीसीए यूएसए और डब्ल्यूटीसी नोएडा (वेरिडन रेड) के बीच कोई संबंध नहीं है लेकिन आशीष भल्ला कभी भी कोई प्रोजेक्ट पूरा नहीं करता हैं और खरीदारों का सारा पैसा उनकी शेल कंपनियों में जमा कर दिया है।
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एक प्रश्न के जवाब में विपुल गुप्ता और जयश्री गुप्ता ने कहा कि डब्ल्यूटीसी नोएडा आशीष भल्ला के खिलाफ विभिन्न भारतीय अदालतों में कई कानूनी मामले दर्ज हैं। उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट में अब भूटनी ग्रुप द्वारा शेयर खरीद कर एक और बड़े फ्राड को अंजाम देने की भूमिका तैयार की जा रहीं हैं, भूटानी डब्ल्यूटीसी नोएडा परियोजना को भूटानी अल्फातम परियोजना में बदलने की पेशकश कर रहे हैं, जहां ओसी प्राप्त नहीं हुआ है और 10,000 पीएसएफ की दर मांग रहे हैं, जबकि बाजार दर 6000-7000 पीएसएफ है, इसलिए पहले से ही लूटे गए खरीदारों से एक और घोटाला होने की आशंका है।
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प्रेस वार्ता में अन्य पीड़ित बायर्स ने कहा कि हम यूपी सरकार और केंद्र सरकार से भी अनुरोध करते हैं कि इस घोटाले की उच्च स्तरीय जांच की जाए। ताकि इस तरह के घोटाले दोबारा न हों और गरीब जनता को बिल्डर माफिया द्वारा लूटा न जा सके