Tuesday, April 15, 2025

भारत में 2047 तक कोयले की मांग 1,755 मिलियन टन पहुंचने का अनुमान: केंद्र

नई दिल्ली। भारत में कोयले की मांग 2030 तक 1,462 मिलियन टन (एमटी) और 2047 तक 1,755 एमटी तक पहुंचने का अनुमान है। यह जानकारी सोमवार को सरकार द्वारा दी गई। वैश्विक स्तर पर पांचवें सबसे बड़े भूगर्भीय कोयला भंडार और दूसरे सबसे बड़े उपभोक्ता के रूप में, कोयला एक मुख्य ऊर्जा स्रोत बना हुआ है, जो राष्ट्रीय ऊर्जा मिश्रण में 55 प्रतिशत का योगदान देता है। पिछले दशक में मुख्य रूप से कोयले से चलने वाली ताप विद्युत संयंत्रों ने कुल बिजली उत्पादन में 74 प्रतिशत से अधिक का योगदान दिया है।

कोयला मंत्रालय के कहा, रिन्यूएबल स्रोतों में मजबूत प्रगति के बावजूद बिजली की मांग में तीव्र वृद्धि के कारण ताप विद्युत पर निर्भरता जारी रखना आवश्यक हो गया है। अनुमान है कि 2030 तक इसकी हिस्सेदारी 55 प्रतिशत और 2047 तक 27 प्रतिशत हो जाएगी। आठ कोर उद्योगों के सूचकांक (आईसीआई) के अनुसार, कोयला क्षेत्र ने दिसंबर 2024 में 5.3 प्रतिशत की उच्चतम वृद्धि दर्ज की, जो दिसंबर 2023 में 204.3 अंकों की तुलना में 215.1 अंक पर पहुंच गया। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-दिसंबर 2024 के दौरान, कोयला उद्योग सूचकांक पिछले वर्ष के 167.2 अंकों से बढ़कर 177.6 अंक हो गया, जो 6.2 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है, जो सभी कोर उद्योगों में सबसे अधिक है।

आठ मुख्य उद्योगों के संयुक्त सूचकांक ने पिछले वर्ष की तुलना में दिसंबर 2024 में 4 प्रतिशत की समग्र वृद्धि दिखाई है। इसके अतिरिक्त कोयला क्षेत्र भारतीय रेलवे के माल ढुलाई आय का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा है और लगभग 4.78 लाख व्यक्तियों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करता है। वित्त वर्ष 2023-24 में भारत का कोयला उत्पादन 997.82 मिलियन टन (एमटी) के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया, जो वित्त वर्ष 2014-15 में 609.18 एमटी से मजबूत वृद्धि दर्शाता है। अकेले वित्त वर्ष 2023-24 में पिछले वर्ष की तुलना में उत्पादन में 11.71 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2020 में वाणिज्यिक कोयला खदान नीलामी की शुरुआत के साथ एक ऐतिहासिक नीतिगत सुधार आया, जिसने निजी क्षेत्र की भागीदारी और आधुनिक तकनीकी अपनाने को प्रोत्साहित किया। –आईएएनएस एबीएस/

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