नई दिल्ली। केंद्र और राज्यों में आरक्षण की मांग को लेकर शनिवार को दिल्ली स्थित महाराष्ट्र भवन में जाट-मराठा-पाटीदार और गुर्जरों की संयुक्त बैठक आहूत की गई। इस बैठक में पांच सूत्री मांगों को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों को घेरने का ऐलान किया गया।
बैठक में आरक्षण के लिए संयुक्त मोर्चा बनाने की रूपरेखा तय की गई और संसद में आरक्षण की सीमा को 80 फीसदी करने के लिए संशोधन विधेयक लाने की मांग की गई। साथ ही घोषणा की गई कि सरकारें नहीं मानती हैं तो सभी प्रदेशों से ये आरक्षण से वंचित रखी गईं सभी जातियां दिल्ली में बड़ा आंदोलन करेंगी। इस बैठक की अध्यक्षता भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने की।
बैठक में अखिल भारतीय मराठा महासभा के अध्यक्ष दिलिप दादा जगताप, महासचिव संभाजी राजे धतोंडे ने एक स्वर में कहा कि देशभर में आरक्षण से वंचित रखी गई जातियां एक मंच पर साझा संघर्ष करने के लिए तैयार हैं। इसके लिए देशभर की अन्य वंचित जातियों को भी एक मंच पर लाने का वक्त आ गया है। इसके लिए हमें दिल्ली में बड़ा आंदोलन करना होगा।
इस मौके पर अखिल भारतीय जाट महासभा के राष्ट्रीय महासचिव युद्धवीर सिंह ने कहा कि हमें आरक्षण के नाम पर ठगा गया। राज्यों में अन्य आरक्षण प्राप्त जातियों से भिड़ाकर सरकारों ने वोटबैंक की राजनीति की लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। हम सभी जातियों को जिसकी जितनी हिस्सेदारी उतनी उसकी भागीदारी के फार्मूले पर काम करेंगे।
उन्होंने कहा कि चौधरी चरण सिंह ने मंडल कमीशन का गठन किया। उसके तहत जाट बिरादरी सम्मिलित थी लेकिन राजनेताओं ने हमें भी आपस में बांट दिया। 1931 की जनगणना के तहत जब एससी-एसटी और ओबीसी 80 फीसदी थे लेकिन हमें 50 प्रतिशत में ही बांध दिया गया। जो मंडल कमीशन में प्रावधान किए उसमें जाट बिरादरी पर भी वह प्रावधान लागू होते थे लेकिन चालाकी से हमें हाशिए पर डाल दिया गया। लेकिन सब वंचित जातियां समझ चुकी हैं और अब देशभर में आरक्षण के लिए संघर्षरत जातियों का एक साझा मंच बनाया जाएगा।
राजस्थान गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संस्थापक सदस्य हिम्मत सिंह गुर्जर ने कहा कि हम देशभर की अन्य जातियों के साथ साझा लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं क्योंकि केंद्र में गुर्जरों को भी आरक्षण के नाम पर ठगा गया है और सुप्रीम कोर्ट में हम इसकी लड़ाई लड़ रहे हैं।
गुजरात के अनामत आंदोलन समिति के कॉर्डिनेटर मनोज पटेल ने कहा कि राज्य सरकार ने चालाकी से हमारे आरक्षण आंदोलन को समाप्त करने का काम किया लेकिन वह उसके लिए लड़ाई लड़ रहे हैं और साझा लड़ाई के लिए तैयार हैं।
इस मौके पर राकेश टिकैत ने कहा कि देश में वंचितों यानि किसानों और मजदूरों की लड़ाई लंबे समय से लड़ रहे हैं। आरक्षण होने से इस तबके का सबसे ज्यादा भला होगा इसके लिए वह साझा लड़ाई में हमेशा साथ खड़े रहेंगे। राजस्थान के अखिल भारतीय जाट महासभा के अध्यक्ष राजाराम मील ने भी केंद्र सरकार के खिलाफ इस संघर्ष में कंधे से कंधा मिलाकर लड़ाई लड़ने का भरोसा दिया।
इस मौके पर बामसेफ के राष्ट्रीय सचिव सुरेश द्रविड़ और महाराष्ट्र में औरंगाबाद के मूल निवासी संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष दुष्यंत पाटिल ने भी साझा लड़ाई के लिए एक मंच पर आने का ऐलान किया। इस दौरान अखिल भारतीय जाट महासभा के राष्ट्रीय सचिव धर्मवीर सिंह और यूपी के अध्यक्ष प्रताप चौधरी ने भी अपने विचार रखे।
महाराष्ट्र सदन में पांच सूत्री प्रस्ताव पास किए गए
1- आरक्षण (एससी-एसटी-ओबीसी) की सीमा को संसद में संशोधन विधेयक लाकर 80 फीसदी किया जाए
2- 1931 की जनगणना को आधार मानकर आरक्षण की हिस्सेदारी तय की जाए
3- आरक्षण से वंचित रह गईं जातियों को साथ में जोड़ा जाए
4- आरक्षण आंदोलन के साझा चलाने के लिए कॉर्डिनेटर कमेटी शीघ्र बनाई जाएगी
5- राज्यों में जाकर इन जातियों के लोगों को जागरूकता अभियान चलाकर लामबंद किया जाएगा