लखनऊ। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को अपने सरकारी आवास पर एक उच्चस्तरीय बैठक में चालू वित्तीय वर्ष में कर-करेत्तर राजस्व प्राप्तियों की अद्यतन स्थिति की समीक्षा की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में अपार संभावनाएं हैं, राजस्व के नए स्रोत तलाशने चाहिए।
उन्होंने कहा कि बारी-बारी से जीएसटी, वैट, आबकारी, स्टाम्प एवं पंजीयन, परिवहन, भू-राजस्व और ऊर्जा में राजस्व संग्रह के लक्ष्य और उसके सापेक्ष प्राप्तियों का विवरण प्राप्त किया साथ ही विभागीय अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए… योगी ने कहा कि नियोजित प्रयासों से प्रदेश के कर-करेत्तर राजस्व संग्रह में सतत वृद्धि हो रही है। वर्तमान वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में विविध माध्यमों से अब तक 46 हजार करोड़ से अधिक की राजस्व प्राप्ति हुई है। इसमें जीएसटी/वैट से 26 हजार करोड़, एक्साइज टैक्स के रूप में 10 हजार करोड़, स्टाम्प एवं पंजीयन से 6 हजार करोड़ और परिवहन से 24 सौ करोड़ से अधिक का संग्रह हुआ है। यह स्थिति संतोषजनक कही जा सकती है। यह जनता से एकत्रित राशि है जो प्रदेश के विकास में, लोककल्याणकारी कार्यों में व्यय होगा।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में अपार संभावनाएं हैं। राजस्व संग्रह बढ़ाने के लिए हमें नए स्रोत भी बनाने चाहिए। चालू वित्तीय वर्ष के लिए 1.50 लाख करोड़ के जीएसटी और वैट संग्रह लक्ष्य के अनुरूप ठोस कोशिश की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्व की चोरी राष्ट्रीय क्षति है। जीएसटी की चोरी/अपवंचन की कोशिशों को रोकने के लिए सजगता बढ़ाये जाने की जरूरत है। छापेमारी की कार्यवाही से पहले पुख्ता जानकारी इकठ्ठा करें। इंटेलिजेंस को और बेहतर करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि विशेष अनुशासनिक इकाइयों और सचल दल इकाइयों की सक्रियता और बढ़ाए जाने की जरूरत है। हालांकि हाल के समय में इनकी सजगता से कर चोरी/अपवंचन पर प्रभावी रोक लगाने में सफलता मिली है। फिर भी अभी कार्यशैली में व्यापक सुधार की जरूरत है। फील्ड में योग्य कुशल और दक्ष अधिकारियों को तैनाती दी जाए।
योगी ने कहा कि राजस्व संग्रह को बढ़ाने के लिए शासन स्तर से फील्ड के अधिकारियों को स्पष्ट टारगेट दिया जाए। इसकी साप्ताहिक/मासिक समीक्षा की जाए। मेरे स्तर से त्रैमासिक समीक्षा की जाती रहेगी। सभी संबंधित विभाग लक्ष्य के सापेक्ष राजस्व संग्रह के लिए हर जरूरी प्रयास करें। उन्होंने कहा कि अवैध शराब बनाने व बेचने की गतिविधियों पर पूरी सख्ती की जाए। किसी भी जिले में ऐसी गतिविधि न हो। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि धर्मस्थलों, विद्यालयों, हाई-वे आदि के समीप शराब की दुकानें न संचालित हों।