Monday, December 23, 2024

बाल कहानी: पहरेदार ब्लैकी और वाइटी

खारून नदी के किनारे एक बहुत बड़ा जुरासिक नाम का जंगल था। वहां काफी संख्या में पशु पक्षी एक परिवार की तरह रहते थे। जुरासिक जंगल की चर्चा अच्छे खुशहाल जंगलों में की जाती थी सभी जानवर अपना अपना काम करते और शाम को इक_े हो कर घूमते फिरते, गप्पें मारते।

जुरासिक जंगल के जानवर अच्छे और मेहनती थे लेकिन उस के पड़ोस के जंगल के जानवर चोर थे। वे अक्सर रात में जुरासिक जंगल में आ कर चोरियां कर के भाग जाते थे।

इसलिए जुरासिक जंगल में रात को ब्लैकी चमगादड़ पहरेदारी का काम करता था। जब से ब्लैकी ने अपना काम संभाला था, जंगल में चोरी वगैरह की घटना नहीं हो रही थी।

जुरासिक जंगल के सभी जानवर शांति से जीवनयापन कर रहे थे। अचानक जंगल में अशांति फैल गई। हुआ यह कि ब्लैकी चमगादड़ का एक दोस्त शहरी ग्रीनू गिद्ध जंगल में आया हुआ था। उस से जुरासिक जंगल की शांति नहीं देखी गई और उस ने ब्लैकी को भड़काना शुरू कर दिया।

ब्लैकी, जंगल के सारे जानवर बड़े मजे की नींद सोते रहते हैं और तुम हो कि रात रात भर चौकीदारी का काम करते हो। चौकीदारी करना एकदम घटिया काम है। तुम भी रात भर चैन की नींद सोया करो। किसी के यहां चोरी हो या डकैती, तुम्हें उस से क्या लेना देना।”

ब्लैकी उस की बातों में आ गया और उस ने पहरेदारी करना छोड़ दिया।
इस से जंगल के जानवरों पर संकट आ गया। फिर हर रात किसी न किसी जानवर के यहां चोरी हो जाती चोर कीमती गहने और सामान वगैरह सब बटोर कर ले जाता।

जब जानवरों ने ब्लैकी से इस बारे में बात की तो उस ने शहरी ग्रीनू गिद्ध की बातों में आ कर टका सा जवाब दिया।
तुम लोग रात भर खर्राटे ले कर सोते रहो और मैं तुम्हारे घर की रखवाली करता रहूं। अब यह सब मुझ से नहीं होगा। ब्लैकी ने स्पष्ट कह दिया।

तो इस में बुरा क्या है, ब्लैकी भाई? जंगल के सभी जानवर और पक्षी भाईचारे के साथ रह रहे हैं। सभी के कुछ न कुछ सामाजिक दायित्व बनते हैं। मुझे ही देखो, मैं रोज सुबह उठ कर बांग लगाता हूं और जंगल के सभी भाई बहनों को उठाता हूं पर मुझे कभी यह महसूस नहीं हुआ कि आप लोगों पर एहसान करता हूं, रैडी मुरगे ने ब्लैकी को समझाया।
अरे, रैडी, तूं अपना मुंह बंद रख। बड़ा आया मुझे समझाने वाला, ब्लैकी ने गुस्से में आंखें तरेर कर कहा।

जंगलवासियों को बड़ी हैरानी हुई कि आखिर ब्लैकी को क्या हो गया है और वह इस तरह का व्यवहार कर रहा है। फिर उन की समझ में आया कि शहरी ग्रीनू गिद्ध के आने से उसमें यह बदलाव आया है। अब जंगलवासियों की समझ में यह नहीं आ रहा था कि रात में पहरेदारी का काम कौन करेगा?

मुझे रात में घूमना फिरना बहुत पसंद है और मैं अपनी बड़ी-बड़ी आंखों के कारण रात में भी सब कुछ देख लेता हूं। अब से मैं पहरेदारी करूंगा, वाइटी उल्लू ने जानवरों से कहा।
सभी जानवर राजी हो गए।
अब रात में वाइटी उल्लू जंगल में घूमघूम कर पहरा दिया करता, सो जंगल के प्राणियों को ब्लैकी की कमी महसूस नहीं हुई। कुछ दिनों बाद शहरी ग्रीनू गिद्ध शहर लौट गया। अब तो जंगल में ब्लैकी चमगादड़ को पूछने वाला कोई न था।

प्रात: उठ कर सभी जंगलवासी अपना काम करते व शाम को बैठ कर गप्पें मारते। अब न ही कोई ब्लैकी से बात करता, न ही उस का हालचाल जानने का प्रयास करता। अब वह पछता रहा था।
जंगलवासियों के व्यवहार का ब्लैकी पर इतना अधिक प्रभाव पड़ा कि उस ने खाट पकड़ ली।
जब जंगलवासियों को इस बात का पता चला तो वे सब कुछ भूल कर ब्लैकी के पास पहुंचे। शीघ्र उस का इलाज करवाया गया।
जब ब्लैकी थोड़ा ठीक हुआ तो जोर जोर से रोने लगा व जंगल के अपने साथियों से अपने किए व्यवहार की क्षमा मांगने लगा। सभी ने उसे माफ कर दिया।

ब्लैकी ने कहा, आज मैं ने जाना कि अपने आखिर अपने होते हैं। हमें दूसरों की बातों में नहीं आना चाहिए।
तभी रैडी मुरगा बोला, भाई ब्लैकी, तुम अपना काम संभालो। वाइटी पहरेदारी करते करते थक गया होगा।
नहीं, मैं नहीं थका हूं। रात में मैं ही पहरेदारी करूंगा, वाइटी बोला।

फिर ब्लैकी और वाइटी दोनों रात में पहरेदारी करने के लिए झगडऩे लगें।
तब रैडी मुरगा ने दोनों में समझौता कराया, ब्लैकी और वाइटी, ऐसा भी तो हो सकता है, तुम दोनों मिल कर पहरेदारी करो। जंगल को दो भागों में बांट कर एक एक भाग की जिम्मेदारी ले लो। ऐसा करने से किसी एक के ऊपर भार भी नहीं पड़ेगा।

सभी जानवरों को रैडी का सुझाव पसंद आया, साथ ही ब्लैकी और वाइटी भी राजी हो गए। तब से रात में चमगादड़ और उल्लू पहरेदारी करते हैं।
–   नरेंद्र देवांगन

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