पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को बिहार जलवायु सम्मेलन एवं प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस सम्मेलन का उद्देश्य विशेषज्ञों, हितधारकों एवं नीति निर्माताओं को एक साथ लाना एवं बिहार राज्य के लिए जलवायु रणनीतियों पर विचार-विमर्श करना है।
साथ ही जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों एवं इससे बचने के उपायों के बारे में विचार-विमर्श करना है। मुख्यमंत्री ने बिहार जलवायु प्रदर्शनी में लगाए गए विभिन्न स्टॉलों का निरीक्षण किया और विस्तृत जानकारी ली।
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय डॉल्फिन रिसर्च सेंटर, पटना का भी उद्घाटन किया। साथ ही मुंगेर वानिकी महाविद्यालय का ‘बिहार वानिकी महाविद्यालय एवं शोध संस्थान’ के रूप में उन्नयन एवं नामकरण किया।
मुख्यमंत्री ने 108 करोड़ 33 लाख रुपये लागत की पार्क, ईको टूरिज्म, भू-जल संरक्षण एवं आधारभूत संरचना विकास की 28 योजनाओं का उद्घाटन एवं शिलान्यास भी किया।
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने पूर्णिया और भागलपुर में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालयों का उद्घाटन तथा बिहार की जलवायु अनुकूल एवं न्यून कार्बन प्रारूप रणनीति का लोकार्पण किया। जलवायु कार्य के लिए बिहार घोषणा पत्र भी जारी किया गया।
उल्लेखनीय है कि बिहार एक आपदा प्रवण राज्य है और जलवायु परिवर्तन के कारण विगत कुछ दशकों से बाढ़, सुखाड़, आकाशीय विद्युत जैसी आपदाओं की तीव्रता और आवृत्ति में बढ़ोतरी हुई है। बिहार देश का पहला राज्य है, जहां जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने के लिए जल-जीवन-हरियाली अभियान चलाया जा रहा है।
इस कार्यक्रम में बिहार सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग सहित परिवहन विभाग, लघु जल संसाधन विभाग, कृषि विभाग, ऊर्जा विभाग, उद्योग विभाग, तकनीकी संस्थान, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं डब्ल्यूआरआई इंडिया, यूएनईपी, शक्ति सस्टेनेबुल एनर्जी फाउंडेशन जैसे सहयोगी संस्थानों ने भाग लिया।
कार्यक्रम के दौरान ‘बिहार राज्य की जलवायु अनुकूल एवं न्यून-कार्बन प्रारूप रणनीति के प्रभावी क्रियान्वयन की ड्राफ्ट प्रति’ का मुख्यमंत्री ने लोकार्पण भी किया।
कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. प्रेम कुमार भी उपस्थित रहे।