लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए 2006 बैच के IAS अधिकारी अभिषेक प्रकाश को निलंबित कर दिया है। अभिषेक प्रकाश औद्योगिक विकास विभाग के सचिव और इन्वेस्ट यूपी के CEO पद पर तैनात थे। आरोप है कि उन्होंने सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने वाले एक उद्यमी से पांच प्रतिशत कमीशन मांगा था। इस मामले में मेरठ निवासी निकान्त जैन को भी गिरफ्तार किया गया है, जो कथित तौर पर कमीशन मांगने का काम कर रहा था।
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आरोप है कि उन्होंने एक उद्योगपति से उद्योग लगाने के बदले पांच प्रतिशत कमीशन मांगा था। घूसखोरी के लिए उन्होंने अपने एक बाबू को लगा रखा था, जिसे गिरफ्तार कर लिया गया है। पूछताछ में बाबू ने कबूल किया है कि वह अभिषेक प्रकाश के कहने पर ही रिश्वत की मांग कर रहा था।
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अभिषेक प्रकाश पहले भी विवादों में रहे हैं। लखनऊ के जिलाधिकारी रहते हुए उन पर बड़े जमीन घोटाले के आरोप लगे थे, जिसकी रिपोर्ट सरकार के पास मौजूद है।
अभिषेक प्रकाश 2006 बैच के IAS अधिकारी हैं और मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं। उनका जन्म 1982 में हुआ था। उन्होंने IIT रुड़की से 2000-2004 के बीच इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, इसके बाद पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन और पब्लिक पॉलिसी में एमए किया। वह लखीमपुर खीरी, लखनऊ, अलीगढ़ और हमीरपुर के जिलाधिकारी रह चुके हैं।
उद्योगपति विश्वजीत दत्ता (जो एसएईएल सोलर पी6 प्राइवेट लिमिटेड के प्रतिनिधि हैं) ने इन्वेस्ट यूपी में भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में सौर ऊर्जा के कलपुर्जे बनाने के लिए संयंत्र स्थापित करने के बदले उनसे रिश्वत मांगी गई।
मेरठ, लखनऊ और एटा में निकान्त जैन के खिलाफ पहले से तीन मामले दर्ज हैं। पुलिस ने गोमती नगर थाने में एफआईआर दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया है।