Thursday, September 19, 2024

मंकी पॉक्स वायरस पर सीएमई का आयोजन, जाने लक्षण और उपचार

मेरठ। लाला लाजपत राय स्मारक मेडिकल कॉलेज मेरठ के मेडिसिन विभाग में मंकी पॉक्स वायरस पर सीएमई का आयोजन किया गया। जिसका संचालन मेडिसिन विभाग के आचार्य डॉ अरविंद कुमार के द्वारा किया गया। मंकी पॉक्स एक संक्रामक रोग है जो दर्दनाक दाने, बड़े हुए लस्सी का ग्रंथियां बुखार, सिर दर्द,मांसपेशियों में दर्द,पीठ का दर्द और कम ऊर्जा का कारण बन सकता है।

 

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अधिकांश लोग इस रोग से पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं लेकिन कुछ अत्यधिक बीमार भी हो सकते हैं। मंकी पॉक्स वायरस एक डबल स्टैंडर्ड डीएनए वायरस है जो आर्थ्रोपॉक्स वायरस जेंट्स का है और बॉक्स वायरिंग परिवार में आता है। जिसमें वायरस के दो भिन्न-भिन्न क्लैड होते हैं।

 

क्लैड 1, जिसमें सब क्लैड 1a और 1b शामिल है और क्लैड 2 जिसमें क्लैड 2a शामिल होते हैं। वर्ष 2022 में क्लैड 2 b का एक वैश्विक प्रकोप शुरू हुआ और आज भी जारी है, जिसमें कुछ अफ्रीकी देशों में भी इसके मामले देखे गए हैं प्लेज 1a और 1b के बढ़ते प्रकोप डेमोक्रेटिक रिपब्लिक आफ कांगो और अफ्रीका के अन्य देशों को प्रभावित कर रहे हैं, अगस्त 2024 तक क्लैड 1b को अफ्रीका के बाहर भी देखा गया है।

 

वायरस का प्राकृतिक आवास अज्ञात है, लेकिन विभिन्न छोटे-छोटे स्तनधारी जैसे गिलहरी और बंदर इससे प्रभावित हो सकते हैं। मंकी पॉक्स वायरस मुख्य रूप से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के निकट संपर्क के माध्यम से फैलता है,जिसमें घर के सदस्य भी शामिल हो सकते हैं। निकट संपर्क में त्वचा से त्वचा जैसे छुना या सेक्स और मुंह से मुंह या मुंह से त्वचा का संपर्क जैसे चुंबन आदि शामिल है।

 

 

इसमें ऐसे व्यक्ति के साथ आमना-सामना होना भी शामिल हो सकता है, जो मंकी पॉक्स से संक्रमित है जैसे बात करना या एक दूसरे के पास सांस लेना जो संक्रमण उत्पन्न कर सकते है। जिन लोगों के कई और साझेदार होते हैं उन्हें मंकी पॉक्स के संक्रमित होने का अधिक जोखिम होता है। लोग मंकी पॉक्स को प्रदूषित वेस्टन जैसे कपड़े या लिनन ;सुई की चोटों के माध्यम से या सामुदायिक सेक्स सेटिंग्स जैसे टैटू बनवाना से  भी संक्रमित हो सकते हैं। गर्भावस्था या जन्म के दौरान वायरस बच्चों को भी प्रभावित कर सकता है। गर्भावस्था के दौरान मंकीपॉक्स का संपर्क होने से भ्रूण या नवजात शिशु के लिए खतरनाक हो सकता है और इससे गर्भ गर्भपात अमृत जन्म नवजात शिशु की मृत्यु या माता-पिता के लिए जटिलताएं हो सकती हैं।

 

मंकी पॉक्स की पहचान करना मुश्किल हो सकता है क्योंकि अन्य संक्रमण और स्थितियां समान दिखाई देती हैं मंकी पॉक्स को चिकन पॉक्स ,खसरा, बैक्टीरिया त्वचा संक्रमण खुजली, हर्पीज, सिफलिस व अन्य रोगों के संक्रमण से अलग करना महत्वपूर्ण है। मंकी बॉक्स की पहचान पीसीआर पॉलीमरेस चैन रिएक्शन टेस्ट के द्वारा की जाती है। मंकी पॉक्स  के अधिकांश रोगियों में बुखार के दो-तीन दिन बाद शरीर पर दाने का होना तथा ग्रंथियां का फूल जाना,कमजोरी मांसपेशियों में दर्द, सिर दर्द आदि लक्षण होते हैं। मंकी बॉक्स के अधिकांश रोगी दो से चार हफ्ते के भीतर ठीक हो जाते हैं,मंकी पॉक्स के लक्षणों को ठीक करने और

दूसरों को मंकी पॉक्स फैलाने से रोकने के लिए निम्न कदम उठाने चाहिए:-

यदि संभव हो सके तो मंकी पॉक्स के मरीज को अपने घर पर ही खुले हवादार कमरे में रहना चाहिए।
अपने हाथों को बार-बार धोना चाहिए।

 

विशेष कर बालों को छूने से बचना चाहिए या छूने के बाद साबुन या पानी या हैंड सेनीटाइजर का उपयोग करना चाहिए। जब मंकी पॉक्स से ग्रस्त व्यक्ति लोगों के आसपास हो तो मास्क पहने और घाबॉ को ढाका रखें, त्वचा को सुखl और खुला रखें, किसी अन्य व्यक्ति के साथ बंद कमरे में ना रहे।

 

सार्वजनिक स्थान में वस्तुओं को छूने से बचें और सार्वजनिक स्थान को बार-बार कीटाणु रहित रखें। मुंह में धोने के लिए नमक के पानी से कुल्ला करें। शरीर को धोने के लिए बेकिंग सोडा या एप्सम साल बेकिंग सोडा के पानी के साथ साफ करें। स्वास्थ्य कर्मचारियों को मंकी बॉक्स के मरीज का देखभाल करने के लिए निम्न सावधानी बरतनी चाहिए ।मरीज के पास जाने से पहले PPE किट का प्रयोग करें, दस्ताने,गाउन,आंखों की सुरक्षा के लिए गॉगल्स, चश्मा आदि का प्रयोग करना चाहिए।

 

मंकीपॉक्स रोग पर हुई इस कार्यशाला में  मेडिसिन विभाग की प्रोफेसर  डॉ आभा गुप्ता, विभाग अध्यक्ष डॉ योगिता सिंह, डॉ संध्या गौतम, डॉ श्वेता शर्मा, डॉ स्नेह लता वर्मा, डॉ राहुल सिंह,डॉ पंकज कुमार, डॉ रचना ,डॉ सामिया फैज व जूनियर तथा सीनियर रेसिडेंट, इंटर्न आदि उपस्थित रहे।

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