प्रथम बार मां बनने पर अनुभव की कमी होने से बच्चे के थोड़ा सा भी बीमार होने पर माता-पिता शीघ्र घबरा जाते हैं। थोड़ी बहुत बीमारी तो बच्चे के विकास के साथ चलती ही रहती है पर अधिक दिन लगातार होने पर डॉक्टरी परामर्श लेना न भूलें। नवजात शिशुओं को होने वाली कुछ आम परेशानियां इस प्रकार हैं।
कब्ज:- छोटे बच्चों को कब्ज होना एक आम शिकायत होती है। बच्चा यदि एक दिन छोड़कर शौच करता है या सख्त गोलियों के रूप में शौच करता है तो ऐसे में दिन के समय थोड़ा संतरे का रस या गाजर का रस उसे पिलायें। यदि सख्त शौच के साथ खून आता है तो डॉक्टर से परामर्श लें।
दस्त:- दिन में 4-5 से अधिक दस्त आने पर बच्चे को जीवन घोल दें। यदि बच्चे के शौच में बदबू आए या खून आए तो डॉक्टर को दिखा कर दवा दें।
शौच रंग में परिवर्तन:- शुरू में बच्चा पीले रंग का शौच करता है जिससे उसके लंगोट पर भी उसके कभी कभी दाग लगे रह जाते हैं जो धोने पर साफ नहीं होते। धीरे-धीरे 10-15 दिन तक शौच का रंग साधारण होने लगता है। यदि शौच का रंग काला या हरा हो तो डॉक्टर से परामर्श लें।
चमड़ी उतरना:- बच्चों की चमड़ी नाजुक होने के कारण बच्चों को रेशमी और कसे हुए वस्त्र न पहनायें। नहाने के बाद कुछ समय के लिए बच्चे को बिना पैंटी या लंगोट के खुला छोड़ दें। ध्यान रखें उस समय कोई दूसरा बच्चा उसके पास न हो। हाथ पैरों की खाल थोड़ी थोड़ी उतरना स्वाभाविक क्रिया है। अधिक उतरने पर या रैश होने पर डॉक्टरी सलाह लें।
उल्टी करना:- अधिकतर छोटे बच्चे खाया-पीया तभी निकालते हैं जब उनकी हवा की नली में गैस फंस जाती हैं। ऐसे में दूध पिलाने के बाद कंधे से लगाकर डकार मरवाने के बाद बिस्तर पर लिटाएं। जबरदस्ती बच्चे को दूध या खाने को कुछ न दें। यदि बच्चा पानी न पचा पा रहा हो तो ऐसी अवस्था में डॉक्टर को अवश्य दिखायें।
वजन और लम्बाई समय-समय पर जांच करवाते रहें।
बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के बारे में डॉक्टर से जानकारी लेते रहें।
किस समय पौष्टिक आहार क्या दें और कितनी मात्रा में दें, इसकी पूरी जानकारी लेते रहें।
दांत निकालते समय बच्चा किन परेशानियों से निकलता है, इसकी जानकारी भी डॉक्टर से लें।
गंदे और गीले बिस्तर पर बच्चे को मत सुलायें।
बच्चों को खेलते हुए या सोते समय अकेला न छोड़ें।
बच्चों को जो खिलौने दें, ध्यान रखें, वे नुकीले और चटक रंगों के न हों।
बच्चे को दूध देते समय या कुछ खिलाते समय, चम्मच और बोतल उबाल कर प्रयोग में लाएं।
समय समय पर बच्चों को दूध और खाने को दें।
खाना खिलाते समय और दूध पिलाते समय स्वयं हाथ अवश्य धोएं।
बच्चों को अधिक समय तक भूखा न रखें।
बच्चों को जबरदस्ती खाने पीने को न दें। पानी उबाल कर पिलाएं।
– नीतू गुप्ता