Thursday, December 19, 2024

डॉर्सी के बयान पर केंद्र पर हमलावर हुई कांग्रेस, पूछा- ‘क्या, जवाब देगी मोदी सरकार

नई दिल्ली। ट्विटर के पूर्व सीईओ जैक डॉर्सी के बयान को लेकर कांग्रेस ने मंगलवार को पूछा कि क्या नरेंद्र मोदी सरकार इसका जवाब देगी। कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक ट्वीट में कहा, मोदी सरकार ने किसानों और किसान आंदोलन के दौरान अकाउंट्स को बंद करने के लिए ट्विटर को मजबूर किया, सरकार या ट्विटर की आलोचना करने वाले पत्रकारों के अकाउंट को बंद करने का दवाब बनाया और कंपनी के कर्मचारियों के घरों पर छापेमारी की धमकी दी। यह बात ट्विटर के सह संस्थापक और पूर्व सीईओ जैक डॉर्सी ने एक टीवी इंटरव्यू में मानी है। क्या, जवाब देगी मोदी सरकार?

यूथ कांग्रेस और नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया ने भी ट्विटर पर डॉर्सी के दावे की उस क्लिप को साझा किया, जो उन्होंने सोमवार को यूट्यूब चैनल ब्रेकिंग पॉइंट्स को दिए एक इंटरव्यू के दौरान किए थे।

एनएसयूआई के अध्यक्ष नीरज कुंदन ने एक ट्वीट में कहा, ‘भाजपा लोकतंत्र की हत्यारी है, यह बार-बार साबित हो रहा है। ये हैं ट्विटर के पूर्व सीईओ जैक डॉर्सी। वह कह रहे हैं ‘किसान विरोध के दौरान भारत सरकार ने हम पर दबाव बनाया और कहा कि हम ट्विटर बंद कर देंगे। अगर नियमों का पालन नहीं करते, तो आपके कर्मचारियों के घरों पर छापा मारेंगे।’

यूथ कांग्रेस के प्रमुख श्रीनिवास बी.वी. ने सरकार पर कटाक्ष करते हुए विरोध में जैक डॉर्सी की संबंधित बयान वाली क्लिप साझा की।

दरअसल, इंटरव्यू में यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें विदेशी सरकारों के किसी दबाव का सामना करना पड़ा?, डोर्सी ने भारत का उदाहरण दिया और कहा, उदाहरण के लिए भारत, भारत उन देशों में से एक है, जहां किसान आंदोलन के दौरान हमारे पास बहुत सी मांगें आ रहीं थीं, कुछ खास पत्रकार जो सरकार के आलोचक थे, उनके बारे में। एक तरह से हमसे कहा गया कि हम भारत में ट्विटर को बंद कर देंगे, आपके कर्मचारियों के घरों पर छापे मारेंगे, जो उन्होंने किया। अगर आप हमारी बात नहीं मानेंगे, हम आपके ऑफिस बंद कर देंगे और ये भारत में हो रहा था, जो लोकतांत्रिक देश है।

कई राज्यों के किसानों ने नवंबर 2020 से एक साल से अधिक समय तक दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों को समझाने में विफलता को स्वीकार किया और उनसे अपने साल भर के विरोध को बंद करने की अपील की। सरकार ने संसद के शीतकालीन सत्र में तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया।

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