नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को राज्यसभा में कांग्रेस को संविधान का सबसे बड़ा विरोधी बताते हुये कहा कि इस दल की मानसिकता अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के खिलाफ भी है।
मोदी ने राष्ट्रपति केे अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुयी करीब 20 घंटे की चर्चा का जबाव देते हुये कहा कि वर्ष 1977 का आम चुनाव देश के इतिहास का पहला चुनाव था जो संविधान की रक्षा के मुद्दों पर लड़ा गया था। यदि हाल में संपन्न आम चुनाव संविधान की रक्षा के मुद्दे पर हुआ है तो देशवासियों ने इसकी रक्षा का जिम्मा हमें दिया है। उन्होंने कहा कि 1977 में लोकतंत्र की रक्षा और संविधान की रक्षा के लिए मतदान किया गया था। उस समय देश की “ विवेक बुद्धि” ने सत्ता में बैठे लोगों को उठाकर फेंक दिया था। यदि यह चुनाव संविधान की रक्षा के लिए था तो देशवासियों ने इसके लिए हमें जनादेश दिया है। आपातकाल लगाकर संविधान पर बुलडोजर चलाया गया था। लोकतंत्र की धज्जियां उड़ा दी गयी थी और अब सदन को गुमराह किया जा रहा है कि यह चुनाव संविधान की रक्षा को लेकर था।
उन्होंने कहा कि अपातकाल में लोगों का जीना मुश्किल हो गया था। लोकसभा को सात साल चलाया गया था। वह कौन सा संविधान था जिसके बल पर कांग्रेस ने सत्ता की मौज ली और लोगों के अधिकारों का हनन करते रहे। संविधान की आत्मा को छिन्न विछिन्न करने का काम किया था। संविधान में संशोधन किया गया और उसकाे “ मिनी संविधान” कहा जाता था। प्रधानमंत्री पद की गरिमा को चकनाचूर कर दिया था। कौन सा संविधान है जो एक सांसद को कैबिनेट के निर्णय को सार्वजनिक तौर पर फाड़ देने का अधिकार देता है।
उन्होंने कहा कि देश में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का प्रोटोकॉल है। उन्होंने गांधी परिवार का नाम लिये बगैर कहा कि एक परिवार ने इसका दुरूपयोग किया है। कांग्रेस ने तो “ इंदिरा इज इंडिया” का नारा लगाया था। कांग्रेस संविधान की सबसे बड़ी विरोधी है। उनको दो सौ – तीन सौ साल पुरानी बातें करने का हक है लेकिन आपातकाल की बात नहीं करना है। उनके साथ बैठने वाले भी आपातकाल के भुक्तभोगी रहे हैं। उनकी मजबूरियां होगी। लेकिन यदि संविधान की रक्षा की बात होती तो ऐसा नहीं होता।
मोदी ने कहा कि आपातकाल के दौरान लोगों का शोषण किया गया। आम आदमी को भी नहीं छोड़ा गया। जयप्रकाश नारायण जी को तो बहुत कठिनाईयां हुयी और जेल से आने के बाद भी उससे उबर नहीं पाये। कांग्रेस अल्पसंख्यकों के साथ होने बात करती है लेकिन मेरठ में आपातकाल के दौरान क्या हुआ था। इसको कोई उठाने वाला नहीं है। उन्हाेंने कहा कि वही लोग हाथ में संविधान की प्रति लेकर अपने काले कारनामे को छुपाने की कोशिश कर रहे हैं। अब कांग्रेस का परजीवी युग शुरू हुआ है। अब यह किसी के सहारे और कंधे पर बैठकर सफलता हासिल करना चाहती है। सहयोगी दलों के वोट पाकर फल फूल रही है। कांग्रेस के परजीवी होनेे का कारण उनका अपना कारनामा है। देश को गुमराह करके अपने कारनामे को छुपाने की आदत है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की मानसिकता दलित और आदिवासी विरोधी भी है। इस आम चुनाव में कांग्रेस की हार का ठीकरा जिन पर फूटना था, उनकाे बचाने के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे ढाल बनकर खड़े हो गये। यह कांग्रेस की परंपरा है। कांग्रेस हमेशा दलितों को आगे करती रही है। अभी लोकसभा अध्यक्ष चुनाव के लिए भी एक दलित हो खड़ा कर दिया जबकि हार सुनिश्चित थी। कांग्रेस ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का भी विरोध किया और वर्ष 2017 में श्री कोविंद के खिलाफ श्रीमती मीरा कुमार को राष्ट्रपति चुनाव में उतार दिया था। कांग्रेस ने देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति का भी विरोध किया है।