Tuesday, May 21, 2024

संविधान देश का सर्वोच्च विधान ही नहीं भारतीय संस्कृति का प्रतिबिम्ब- कलराज मिश्र

मुज़फ्फर नगर लोकसभा सीट से आप किसे सांसद चुनना चाहते हैं |

जयपुर। राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि संविधान देश को शासित करने से जुड़ा पवित्र ग्रंथ भर नहीं है बल्कि यह भारतीय संस्कृति से जुड़ा दर्शन और उदात्त जीवन मूल्यों का प्रतिबिम्ब है।

मिश्र ने संविधान दिवस (26 नवम्बर) की बधाई और शुभकामनाएं देते हुए आज यह बात कही। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान विश्वभर के लोकतंत्रों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है। उन्होंने कहा कि नागरिकों में बंधुता, स्वाभिमान और राष्ट्र की एकता से जुड़ा हमारा संविधान देश के आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन का घोषणा पत्र है। संविधान की आस्था ’लोकतंत्रात्मक शासन पद्धति’ में है।

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

न्होंने कहा कि देश में संविधान लागू कर उसे अंगीकृत करने के पीछे मंशा यही रही है कि हम सभी भारतीयों को सार्वभौम जनतांत्रिक गंणतंत्र का आदर्श मिल सके। राज्यपाल मिश्र ने संविधान दिवस पर संविधान से जुड़ी संस्कृति और इससे जुड़े अधिकारों, मौलिक कर्तव्यों का उदात्त अधिकाधिक प्रसार किए जाने का आह्वान किया है।

 

उल्लेखनीय है कि मिश्र ने राजस्थान में पदभार ग्रहण करने के बाद से ही निरंतर संविधान संस्कृति के प्रसार में महती भूमिका निभाई है। उन्हीं की पहल पर राजभवन, राजस्थान में देश का पहला संविधान उद्यान निर्मित किया गया है। इसमें संविधान को सभी भागों और मूल प्रति पर उकेरे गए चित्रों को विभिन्न कला-रूपों में जीवंत किया गया है।

 

राज्यपाल ने विधानसभा के अपने अभिभाषण से पूर्व भी संविधान की उद्देशिका और मूल कर्तव्यों के वाचन की परम्परा का सूत्रपात राजस्थान में किया। इसके अलावा उन्होंने राज्य के सभी वित पोषित विश्वविद्यालयों में युवा पीढ़ी को संविधान से जुड़े अधिकारों और मौलिक कर्तव्यों की प्रेरणा देने के लिए संविधान वाटिकाओं के निर्माण की भी पहल की है। अपने सभी सार्वजनिक कार्यक्रमों से पूर्व भी वह आम जन को संविधान की उद्देशिका और मूल कर्तव्यों का वाचन करवाते हैं।

Related Articles

STAY CONNECTED

74,188FansLike
5,319FollowersFollow
50,181SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय