Sunday, May 28, 2023

हाजी शाहनवाज लालू की जाति को लेकर उठे विवाद के थमने के आसार, कई फैसले है चर्चाओं में

मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद खतौली के निर्वाचित चेयरमैन हाजी शाहनवाज़ लालू की जाति को लेकर पूर्व चेयरमैन पारस जैन द्वारा अपने सारथी निर्दलीय प्रत्याशी कृष्णपाल सैनी से जिलाधिकारी अरविंद मलप्पा बंगारी को कराई गई शिकायत खतौली कस्बे में चर्चा का विषय बनी हुई है।

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नवनिर्वाचित चेयरमैन हाजी शाहनवाज़ लालू के स्वर्गीय पिता और दादा के वर्ष 1961 के एक दो दस्तावेजों में नाम के आगे शेख लिखा हुआ है, जिसको आधार बनाकर पारस जैन ने चेयरमैन हाजी शाहनवाज़ लालू की जाति को चैलेंज किया है। चेयरमैन हाजी शाहनवाज़ लालू के पास तहसील खतौली से जारी ओबीसी जाति का प्रमाण पत्र है। पारस जैन की शिकायत के संज्ञान में जिलाधिकारी अरविंद मलप्पा बंगारी द्वारा चेयरमैन हाजी शाहनवाज़ लालू के ओबीसी जाति प्रमाण पत्र की जांच कराई जा रही है।

इस प्रकरण में उल्लेखनीय है कि पूर्व में बिजनौर के सहनपुर गांव पंचायत अध्यक्ष पद पर निर्वाचित हुए मेराज अहमद द्वारा सामान्य जाति का होने के बावजूद ओबीसी का लाभ लेकर चुनाव जीतने के एक वाद में सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि नाम के आगे शेख लिख लेने से कोई ऊंची जाति का नहीं हो जाता है। जाति या वर्ग का निर्धारण व्यक्ति की पारिवारिक पृष्ठभूमि और सामाजिक स्थिति के आधार पर किया जाता है।

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कोर्ट ने बिजनौर के सहनपुर गांव पंचायत अध्यक्ष मेराज अहमद को पिछड़ा वर्ग की बजाए सामान्य जाति का घोषित करने के कमिश्नर मुरादाबाद के आदेश को रद्द कर दिया था। साथ ही जिला स्तरीय समिति को निर्देश दिया था कि सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद याची की जाति का निर्धारण किया जाए। मेराज अहमद की याचिका पर मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सीडी सिंह की पीठ ने सुनवाई की थी।

याची का कहना था कि वह हकीमनपुर बिजनौर का रहने वाला है। उसके पिता को ठठेरा पिछड़ी जाति का प्रमाणपत्र दिया गया था। याची ने इसी आधार पर पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित सीट से चुनाव लड़ा और जीत गया। याची अपने नाम के साथ शेख लिखता है। इस आधार पर उसके पिछड़ा वर्ग का होने पर आपत्ति की गई। जिला स्तरीय कमेटी ने उसे पिछड़ा वर्ग का ही माना, मगर इसके खिलाफ अपील पर कमिश्नर ने कमेटी का आदेश रद्द करते हुए याची को सामान्य अगड़ी जाति का घोषित कर दिया था।

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इसी प्रकार के एक अन्य प्रकरण में मुजफ्फरनगर की तहसील सदर क्षेत्र के थाना नई मंडी के गांव मुस्तफाबाद के ग्राम प्रधान जियाउद्दीन अहमद के जाति प्रमाणपत्र को लेकर राहत भरी खबर सामने आयी थी। जिला स्तरीय सत्यापन समिति ने जियाउद्दीन अहमद के कलाल जाति के प्रमाण पत्र को निरस्त करने का आदेश जांच के पश्चात वापस ले लिया था। इस आदेश के बाद जियाउद्दीन अहमद की प्रधानी पर लटका खतरा भी टल गया था। इस आदेश के बाद ग्राम प्रधान जियाउद्दीन अहमद व उनके समर्थकों ने राहत की सांस ली थी।

ग्राम मुस्तफाबाद निवासी रिषीपाल ने प्रधान जियाउद्दीन अहमद के कलाल जाति के प्रमाणपत्र को लेकर चुनौती दी थी, जिसे जिला स्तरीय सत्यापन समिति ने जांच के बाद निरस्त करने के आदेश दिए थे, इसके बाद उन्होंने इसे विधि विरूद्ध मानते हुए सहारनपुर मंडलायुक्त द्वारा गठित कमेटी के समक्ष अपील दायर की थी, पर मंडलायुक्त ने उक्त आदेश करते हुए पुन: सभी पक्षों को  निस्तारण के आदेश दिए थे।

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