गाजियाबाद। एक महिला अपने छह माह के मासूम को साहिबाबाद रेलवे स्टेशन पर रोता-बिलखता छोड़ गई। उस समय बच्चा 104 डिग्री फॉरेंहाइट बुखार से तप रहा था। इस गलती का अहसास होने में भी महिला को तीन महीने लग गए, लेकिन अब चाहकर भी वह अपने जिगर के टुकड़े को फिर से कलेजे से नहीं लगा पा रही। मां और बेटे के बीच में कानून आ गया है। साहिबाबाद निवासी इस महिला का नाम है आलिया। वह पहले साहिबाबाद रेलवे स्टेशन पहुंची। रेलवे पुलिस से अपने बेटे सूरज के बारे में पूछा। पता चला कि उसे संजयनगर स्थित घरौंदा बाल आश्रम में भेज दिया गया था।
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इस पर बेलदारी करने वाले पति राजू और उसकी दूसरी पत्नी रोजी को साथ लेकर आश्रम पहुंची। यहां बताया गया कि बच्चा लेने के लिए चाइल्ड वेलफेयर कमेटी ( सीडब्ल्यूसी ) का आदेश होना अनिवार्य है। जरा भी वक्त गंवाए बगैर राजू, आलिया और रोजी विकास भवन स्थित सीडब्ल्यूसी के दफ्तर पहुंचे आलिया ने कहा, पति नशा करता है। उससे झगड़ा हुआ था। गुस्से में आकर बच्चे को स्टेशन पर छोड़ गई। अब पछतावा हो रहा है। वह अपने लाल को साथ रखना चाहती है।
सीडब्ल्यूसी के अध्यक्ष भद्रदास ने बताया कि यह पहला मौका नहीं है जब इस महिला ने अपनी औलाद को ऐसे छोड़ा हो। डेढ़ साल पहले वह अपनी मासूम बच्ची को आनंद विहार बस अड्डे पर छोड़ गई थी। बच्ची बहुत बीमार था। उसका उपचार कराया गया था। कानूनी कार्रवाई के बाद ही बच्ची को दंपती को सौंपा गया था। राजू ने बताया कि पहली पत्नी से बच्चा नहीं हुआ था। इसलिए, दूसरी शादी की। आलिया से एक बेटा और एक बेटी है।
भद्रदास ने बताया कि राजू और उसकी पत्नियों से साफ कह दिया गया कि बच्चा कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही सौंपा जा सकता है। इसमें डीएनए परीक्षण भी शामिल है। इस पर वे लोग भड़क गए। उन्होंने कार्यालय में तोड़फोड़ की। कर्मचारियों को भी पीटा। इस पर पुलिस को बुलाया गया। केस दर्ज कराने के लिए तहरीर दे दी गई है। एसीपी श्वेता यादव ने बताया कि जांच के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। घरौंदा बाल आश्रम की मैनेजर कनिका गौतम ने बताया कि रेलवे स्टेशन पर मिले बच्चे के साथ आधार कार्ड और परिवार का फोटो भी था। बच्चे को तेज बुखार था। उसे कई दिन आईसीयू में भर्ती रखना पड़ा।