सहारनपुर। जिलाधिकारी डॉ0 दिनेश चन्द्र ने समस्त उप जिलाधिकारी, जिला पंचायत राज अधिकारी, समस्त खंड विकास अधिकारी, पशु चिकित्सा अधिकारी, एडीओ पंचायत एवं कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया कि निराश्रित गौवंश के लिए भूसा दान की प्रक्रिया को गति दें। इसके साथ ही जो भूसा खरीदना है वह तत्काल खरीद लें क्योंकि इस समय कीमत कम हैं और सुगमता से भूसा इकट्ठा किया जा सकता है।
डॉ0 दिनेश चन्द्र ने निर्देशित किया कि प्रत्येक दिन मुख्य विकास अधिकारी के माध्यम से उनके सम्मुख रिपोर्ट प्रस्तुत करें कि कितना भूसा खरीदा गया और कितना दान में प्राप्त किया गया। उन्होंने सभी अधिकारियों से निराश्रित गौवंश के संरक्षण के लिए बेहतर से बेहतर कार्य करने के निर्देश दिए। उन्होने कहा कि गौशालाओं में संरक्षित गोवंशों हेतु भोजन एवं पानी की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। गायों को हरा चारा भी दिया जाये। हरा चारा उपलब्ध न हाने की दशा में भूसे को भिगोकर उसमें चोकर मिलाकर दिया जाये। जिन गायों को घूमने के लिये नहीं छोडा गया है, उन्हें छाया में रखने की व्यवस्था की जाये। गायों के छाजन की व्यवस्था की जाए।
जिलाधिकारी डा.दिनेश चन्द्र ने कहा कि गेहूँ की कटाई के दृष्टिगत भूसा सस्ते दामों पर उपलब्ध है। इस अवधि में प्रत्येक गौशाला के लिये समुचित मात्रा में भूसा खरीद कर भूसा बैंक स्थापित कर लिया जाये। हर गौशाला में हर सप्ताह पशु चिकित्सक का न्यूनतम एक दौरा सुनिश्चित किया जाये ताकि बीमार पशुओं का समय से उपचार हो सके। पशुओं की मृत्यु होने की दशा में निर्धारित प्रकिया के अनुसार ही शव का निस्तारण नियमानुसार यथाशीघ्र किया जाये।
समस्त गोआश्रय स्थलों पर संरक्षित गोवंशों की संख्या के आधार पर पूरे वर्ष हेतु अनुमानित भूसे की मात्रा का आंकलन कर लिया जाये तथा गेहूँ की फसल कटाई के समय ही भूसा अधिक से अधिक मात्रा में क्रय हेतु कृषकों को चिन्हित कराते हुए उनके खेतों से ही न्यूनतम दरों पर अधिक से अधिक भूसे का क्रय कर लिया जाये। इस कार्य हेतु संबंधित ग्राम के ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सचिव, लेखपाल का उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाये तथा खेतों से गोआश्रय स्थलों पर भूसा पहुँचाने हेतु परिवहन की व्यवस्था ग्राम पंचायत द्वारा की जाये। इसके लिये तहसील स्तर पर उपजिलाधिकारी व विकास खण्ड स्तर पर खण्ड विकास अधिकारी उत्तरदायी होंगे।
प्रत्येक ग्राम से भूसा दान में प्राप्त किये जाने हेतु ग्राम प्रधान के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन किया जाये जिसमें संबंधित ग्राम पंचायत सचिव, लेखपाल, बीट सिपाही को शामिल किया जाये। इस कार्य हेतु राजस्व निरीक्षक अपने क्षेत्र की समस्त ग्राम पंचायतों के नोडल अधिकारी होंगे। प्रत्येक ग्राम में ग्राम प्रधान के नेतृत्व में एक ट्रेक्टर ट्राली लेकर पूरे ग्राम का प्रतिदिन भ्रमण कर प्रत्येक घर से भूसा दान में प्राप्त किया जाये तथा उसे गोआश्रय स्थलों पर संरक्षित कराया जाये। इसकी समीक्षा प्रतिदिन तहसील स्तर पर उपजिलाधिकारी व विकास खण्ड स्तर पर खण्ड विकास अधिकारी द्वारा की जाये।
डॉ0 दिनेश चन्द्र ने कहा कि अपने-अपने क्षेत्र में भूसा दान देने हेतु अधिक से अधिक कृषकों को प्रेरित करें तथा दानदाताओं में प्रतिस्पर्धा की भावना को जागृत करने के लिये उनको प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया जाये तथा दान दाताओं के नाम का अधिक से अधिक प्रचार प्रसार किया जाये ताकि इनसे प्रेरणा लेकर अन्य कृषक भी भूसा दान देने के लिये बढचढ कर आगे आयें तथा अधिक से अधिक भूसा दान में प्राप्त हो सके। दान में प्राप्त एवं क्रय किये गये भूसे का अभिलेखीकरण सुस्पष्ट पृथक-पृथक किया जाये।