सहारनपुर। जनपद के रामपुर मनिहारान थाने के गांव नवादा भजड़ू और नंदपुर स्थित गौशाला में दो मृत गौवंश को दफनाने में लापरवाही सामने आने पर शासन की ओर से संचालकों को कड़ी फटकार लगाई गई और दो केयरटेकर को नौकरी से निकाल दिया गया। उनकी जगह दो नए केयर टेकर नियुक्त किए गए।
जिलाधिकारी डा. दिनेश चंद्र के निर्देश पर एसडीएम रामपुर मनिहारान सुरेंद्र कुमार और मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. महेंद्र पाल सिंह गौड़ ने गौशाला का निरीक्षण किया। जहां 146 गौवंश हैं। पांच व्यस्क गौवंश बीमार पाए गए। जिसका उपचार किया जा रहा है। दोनों जांच अधिकारियों ने बताया कि प्रत्येक गौवंश के लिए प्रतिदिन 50 रूपए की दर से गौशाला संचालकों को धनराशि मिलती हैं। तीन-चार दिन पहले बीमारी के कारण दो गौवंश मरने के बाद नियमानुसार नहीं दफनाया गया। नियम यह है कि पांच-छह फिट गहरा गड्ढ़ा खोदकर और चूना डालकर मृत गौवंश को दफनाया जाना चाहिए।
संचालकों ने बताया कि जेसीबी नहीं मिलने के कारण गहरा गड्ढ़ा नहीं खुदवाया जा सका और जिन गौवंश को दफनाया गया था उनको आवारा कुत्तों द्वारा नोंचे जाने की घटना हुई। प्रशासन ने गौशाला संचालकों को निर्देश दिए कि वे सभी गौवंश के लिए चारे की व्यवस्था करें, समय पर पानी पिलाएं और बीमार गौवंश का समुचित उपचार करें। चिकित्साधिकारी डा. एमपी सिंह गौड़ ने बताया कि उनके विभाग की ओर से प्रतिदिन पशुओं के स्वास्थ्य की जांच करने एक कर्मचारी जाता है। उन्होंने कहा कि पशुओं का बीमार होना और मृत्यु हो जाना एक ईश्वरीय विधान का अंग है। लेकिन मानवीय लापरवाही असहनीय है।
जिलाधिकारी स्वयं अपने स्तर से गौवंश का ख्याल रखते हैं और गौवंश के हितों का ध्यान रखना। अधिकारियों ने क्षेत्रीय किसानों से गौशाला को भूसा दान करने की अपील भी की। गौशाला की जमीन पर नेबीयर घास और हरा चारा उगाने के निर्देश भी दिए। गौशाला में भूसे, चारे, पानी, बिजली की पंखे, रोशनी आदि की व्यवस्थाओं को दुरूस्त करने के निर्देश भी जिलाधिकारी की ओर से एसडीएम सुरेंद्र कुमार के जरिए दिए गए।
ध्यान रहे, जिले में आवारा गौवंश बहुत बड़ी समस्या है। आए दिन उनके कारण दुर्घटनाएं होती हैं और खेतों में घुसकर भी फसलों को भारी नुकसान पहुंचाते है। लेकिन पिछले कुछ माह के दौरान जिला प्रशासन ने गौवंश संरक्षण और गौवंश पालन पर खास ध्यान दिया हैं।