नई दिल्ली। बोहरा समुदाय के सबसे बड़े धर्मगुरु डा. सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन को देश की मशहूर यूनिवर्सिटी जामिया मिल्लिया इस्लामिया का चांसलर (अमीर-ए-जामिया) नियुक्त किया गया है। उन्होंने मणिपुर की पूर्व राज्यपाल डॉ. नजमा हेपतुल्लाह की जगह ली है, जो पांच वर्षों से विश्वविद्यालय के चांसलर का पदभार संभाल रही थीं।
जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कोर्ट सदस्यों (अंजुमन) की सोमवार को हुई बैठक में सर्वसम्मति से डॉ. सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन को पांच साल की अवधि के लिए विश्वविद्यालय का कुलाधिपति (अमीर-ए-जामिया) चुना गया। उनकी नियुक्ति 14 मार्च से प्रभावी मानी जाएगी।
धार्मिक, शैक्षिक एवं सामाजिक क्षेत्रों में अद्वितीय योगदान देने वाले डॉ. सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन 2014 से वैश्विक दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय के 53वें अल-दाई अल-मुतलक (प्रमुख) हैं। अपनी असाधारण सेवाओं से समाज का नेतृत्व करने वाले डॉ. सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन ने शिक्षा, पर्यावरण, सामाजिक-आर्थिक पहलुओं आदि पर विशेष ध्यान देने के साथ बड़े पैमाने पर समाज की बेहतरी के लिए अपना जीवन समर्पित किया है।
सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन के किए गए कार्यों में सैफी बुरहानी अपलिफ्ट प्रोजेक्ट, टर्निंग द टाइड, प्रोजेक्ट राइज, काम भूख मिटाने के लिए एफएमबी कम्युनिटी किचन, भोजन की बर्बादी को कम करने के लिए किए गए कार्य, पर्यावरण की रक्षा करने आदि शामिल हैं। उनकी सेवाओं के लिए उन्हें कई अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें 500 सबसे प्रभावशाली मुसलमानों की सूची में भी शामिल किया गया है। यूएस कैपिटल में यूएस हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में उनके योगदान के जश्न में एक प्रशस्ति पत्र पढ़ा गया। उन्हें कई देशों में सम्मानित राज्य अतिथि का दर्जा है।
सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन सूरत में स्थित ऐतिहासिक दाऊदी बोहरा शैक्षणिक संस्थान अल-जामियातुस्सैफिया के एक छात्र रहे हैं। वह मिस्र के काहिरा में स्थित विश्व प्रसिद्ध अल-अजहर विश्वविद्यालय के भी पूर्व छात्र भी हैं। उन्होंने 10 फरवरी, 2023 को मुंबई में अल-जामियातुस्सैफिया के एक नए परिसर का उद्घाटन किया। डॉ. सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन बेहतरीन लेखक होने के साथ-साथ उर्दू और अरबी भाषा के कवि भी हैं।
दाऊदी बोहरा समुदाय का मुख्यालय मुंबई में है। प्रधानमंत्री मोदी से भी डॉ. सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन के अच्छे संबंध हैं और वह बोहरा धर्मगुरु के कार्यक्रम में भी शामिल हो चुके हैं। वह अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के भी चांसलर रह चुके हैं।