Monday, April 29, 2024

अमित शाह ने आपदा प्रबंधन मंत्रियों की बैठक में दी नसीहत: बचाव के उपायों को दें प्राथमिकता

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नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के आपदा प्रबंधन मंत्रियों की बैठक में कई राज्य सरकारों के रवैये पर नाखुशी जाहिर करते हुए सभी राज्यों को आपदा से बचाव के उपायों और इससे जुड़े प्रस्तावों को प्राथमिकता देने और इन पर तेजी से काम करने की नसीहत दी है। शाह ने मंगलवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के आपदा प्रबंधन मंत्रियों की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि देश के जिन राज्यों में परमाणु ऊर्जा संयंत्र बन रहे हैं, वहां एनडीएमए द्वारा 7 पावर प्लांट साइट का दौरा किया गया है और किसी भी आपात स्थिति में लोगों के बचाव के लिए सख्त प्रोटोकॉल राज्यों को भेजे गए हैं।

उन्होंने राज्यों के मंत्रियों से कहा कि वे इसे अपनी प्राथमिकता बनाएं और न्यूक्लीयर पावर प्लांट सक्रिय होने से पहले ही आपदा से संबंधित सभी जरूरी व्यवस्थाएं वहां कर लें। उन्होंने सभी राज्यों से मॉडल फायर बिल को अपनाने और राज्यों में एकसमान कानून लाने के लिए भी कहा। गृहमंत्री ने कहा कि सामान्य चेतावनी प्रोटोकॉल के लिए जितनी भी चीजें तय की गई थीं, वो सभी पूर्ण हो गई हैं। शाह ने 8 राज्यों के 87 जि़लों में डिस्ट्रिक्ट डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान के अभी भी लंबित होने का जिक्र करते हुए राज्यों को इन्हें जल्द से जल्द पूरा करने की भी नसीहत दी।

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उन्होंने कहा कि थंडरस्टोर्म और लाइटनिंग के लिए राज्यस्तरीय कार्ययोजना केंद्र द्वारा भेजी गई है, लेकिन अब तक 25 से अधिक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने इसे केंद्र के साथ साझा नहीं किया है। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास होना चाहिए कि एक भी व्यक्ति की जान बिजली गिरने से ना जाए और इसीलिए इन सभी 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस पर जल्दी से आगे बढ़ना चाहिए। शीतलहर और पाला गिरने पर भी राज्यस्तरीय कार्ययोजना केंद्र द्वारा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भेजी गई है, इस पर भी 16 राज्यों और यूटी ने अभी तक कार्ययोजना तैयार नहीं की है, इस पर भी इन सभी को जल्द से जल्द काम करना चाहिए।

शाह ने इन्सीडेंट रिस्पॉन्स सिस्टम को 20 राज्य और यूटी द्वारा लागू करने की जानकारी साझा करते हुए अब तक इसे लागू नहीं करने वाले 16 राज्यों को भी इसे लागू करने का अनुरोध किया।

बैठक के दौरान आपदा की पूर्वतैयारी, शमन, प्रतिक्रिया, परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की सुरक्षा, पूर्व चेतावनी और प्रसार प्रणाली, शमन निधि का उपयोग, राज्य आपदा प्रतिक्रिया बलों (एसडीआरएफ) की स्थापना और मजबूती, राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों (एसडीएमए) और जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए), आपदा तैयारियों, प्रतिक्रिया और शमन आदि में समुदाय द्वारा वॉलंटियर स्वयंसेवा को प्रोत्साहित करने से संबंधित विषयों पर चर्चा की गई।

बैठक में शाह ने देश में आपदा प्रबंधन के लिए 8 हजार करोड़ रुपये से अधिक राशि की तीन प्रमुख योजनाओं की घोषणा करते हुए राज्यों में अग्निशमन सेवा के विस्तार और आधुनिकीकरण के लिए 5 हजार करोड़, शहरों में बाढ़ के खतरे को कम करने के लिए सर्वाधिक जनसंख्या वाले सात महानगरों – मुंबई, चेन्नई, कोलकाता बेंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद और पुणे के लिए 2,500 करोड़ और भू-स्खलन शमन के लिए 17 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 825 करोड़ की राष्ट्रीय भू-स्खलन जोखिम शमन परियोजना की घोषणा की।

शाह ने आगे कहा, “हमारा प्रयास होना चाहिए कि एक भी व्यक्ति की जान आपदा के कारण ना जाए, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पिछले 5 साल में सभी राज्यों ने इस लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में प्रयास किए हैं। लेकिन आपदाओं का स्वरूप बदला है, उनकी फ्रीक्वेंसी और तीव्रता भी बढ़ी है, इसीलिए हमें अपनी तैयारियों को अधिक पैना और व्यापक करना होगा, अब कई नए स्थानों पर नई आपदाएं आ रही हैं, इसके लिए भी हमें अपने आप को तैयार करना होगा।”

उन्होंने कहा कि पहले आपदा के प्रति हमारा दृष्टिकोण राहत-केंद्रित और रिएक्शनरी था, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में 9 सालों में अर्ली वॉर्निग सिस्टम, प्रिवेंशन, मिटिगेशन और पूर्वतैयारी-आधारित आपदा प्रबंधन को हमने सामूहिक मेहनत और लगन से जमीन पर उतारा है। मोदी सरकार ने 350 उच्च-जोखिम आपदा संभावित जिलों में लगभग एक लाख युवा वॉलंटियर को तैयार करने का लक्ष्य रखा है, इससे आपदाओं के समय हमें बहुत अच्छे नतीजे मिल रहे हैं।

शाह ने आगे कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में कोविड के दौरान केंद्र और राज्यों ने एकसाथ सदी की सबसे भीषण महामारी का सफलतापूर्वक सामना किया। उस कठिन समय पर हर मोर्चे पर केंद्र सरकार, राज्यों और जनता ने मिलकर लड़ाई लड़ने का एक उत्कृष्ट उदाहरण विश्व के सामने रखा। मोदी सरकार ने कोरोना के काल में 220 करोड़ से अधिक मुफ्त टीके लगाए, करोड़ों गरीबों के खाने की व्यवस्था की, लाखों मजदूरों को उनके गृहस्थान पर वापस पहुंचाया और डीबीटी के माध्यम से उनकी चिंताएं दूर करने की व्यवस्था की।

शाह ने आगे कहा कि इंडिया डिजास्टर रिसोर्स नेटवर्क की राष्ट्रव्यापी सूची बनी है और इसमें एक लाख नए रिकॉर्डस दर्ज किए गए हैं। 354 करोड़ रुपये की लागत से कॉमन अलर्टिग प्रोटोकॉल को एसएमएस के जरिए लागू करने का प्रावधान किया गया है। आपदा प्रबंधन सूचना प्रणाली पोर्टल, 112 इमरजेंसी रिस्पॉन्स सपोर्ट सिस्टम जैसे कदम बहुत उपयोगी और बहुआयामी पहल हैं। उन्होंने बताया कि देश में बाढ़ प्रबंधन के लिए इसरो द्वारा नॉर्थ ईस्ट में 271 वेटलैंड की पहचान की गई है। आईएमडी द्वारा वर्षा की संभावना और इसके आधार पर होने वाली बाढ़ की सूचना पहले तीन दिन पहले भेजी जाती थी, वो अब 5 दिन पहले भेजी जाती है, ताकि बचाव के लिए अतिरिक्त समय मिल सके। इस वर्ष बाढ़ की सूचना 7 दिन पहले पहुंचाने के निर्देश दिए गए हैं। पर्यावरण मंत्रालय ने उन 13 प्रमुख नदियों के किनारों पर पौधे लगाकर बाढ़ को नियंत्रित किया गया है, जहां से बाढ़ आती है।

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