Sunday, April 27, 2025

सुपरटेक ग्रुप के चेयरमैन आरके अरोड़ा की बढ़ी मुश्किलें, दिल्ली की अदालत ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा

नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को सुपरटेक ग्रुप के चेयरमैन आर.के. अरोड़ा को रिमांड पर भेज दिया। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जांच की जा रही मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अरोड़ा को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है।

अरोड़ा को ईडी हिरासत की अवधि समाप्त होने पर सोमवार को राउज एवेन्यू कोर्ट कॉम्प्लेक्स में पेश किया गया। जांच एजेंसी ने हाल ही में इस मामले में अरोड़ा की 40 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क करने के बाद 27 जून को अरोड़ा को गिरफ्तार किया था।

सूत्रों ने बताया था कि अरोड़ा को जांच में शामिल होने के लिए बुलाया गया था। ईडी के एक सूत्र ने कहा, “वह लगातार तीन दिनों से ईडी मुख्यालय आ रहे थे। मंगलवार (27 जून) को हमने आखिरकार उन्हें गिरफ्तार कर लिया।”

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संघीय एजेंसी की ओर से पेश होते हुए विशेष लोक अभियोजक एन.के. मट्टा ने अदालत को अवगत कराया था कि कंपनी और उसके निदेशकों ने रियल एस्टेट परियोजनाओं में बुक किए गए फ्लैटों के बदले संभावित घर खरीदारों से अग्रिम धनराशि एकत्र करके लोगों को धोखा देने की आपराधिक साजिश रची थी।

मट्टा ने कहा था कि कंपनी समय पर फ्लैटों का कब्जा प्रदान करने के सहमत दायित्व का पालन करने में विफल रही और आम जनता को धोखा दिया।

मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पुलिस द्वारा दर्ज की गई कई प्राथमिकियों से उपजा है।

सूत्रों ने बताया कि रियल एस्टेट कारोबार से जुटाए गए पैसे को मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए कई कंपनियों में निवेश किया गया। यह आरोप लगाया गया है कि घर खरीदारों से पैसा एकत्र किया गया और बाद में अन्य व्यवसायों में शामिल फर्मों के कई खातों में स्थानांतरित कर दिया गया। सूत्र ने कहा, “इस तरह, घर खरीदारों को धोखा दिया गया।” अरोड़ा संतोषजनक जवाब नहीं दे सके, जिसके कारण उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

करीब एक महीने पहले ग्रेटर नोएडा के दादरी प्रशासन ने अरोड़ा और सुपरटेक के खिलाफ नोटिस जारी कर कुल 37 करोड़ रुपये चुकाने को कहा था। नोटिस दिए जाने के बाद, अरोड़ा को स्थानीय डीएम कार्यालय में हिरासत में लिया गया, लेकिन बाद में रिहा कर दिया गया।

सूत्रों के मुताबिक, अरोड़ा और सुपरटेक के खिलाफ कई एफआईआर दर्ज की गई हैं। उन्होंने बैंकों से भी ऋण लिया और उनके खाते कथित तौर पर गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) में बदल गए।

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