नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने संसद सुरक्षा चूक केस में आरोपित नीलम की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका खारिज कर दी। जस्टिस सुरेश कैत ने कहा कि नीलम ने ट्रायल कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की है। ऐसे में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का कोई औचित्य नहीं है। नीलम की याचिका पर हाई कोर्ट ने 28 दिसंबर 2023 को जल्द सुनवाई करने से इनकार कर दिया था। याचिका में मांग की गई थी कि उसे हाई कोर्ट के समक्ष पेश कर रिहा किया जाए।
याचिका में कहा गया था कि ट्रायल कोर्ट में पेशी के दौरान उसे पसंद के वकील से सलाह नहीं लेने दी गई। यह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया था कि हिरासत में रखना संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। नीलम ने दो जनवरी के पटियाला हाउस कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी। पटियाला हाउस कोर्ट ने जमानत याचिका पर सुनवाई करते हए दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था। जमानत याचिका पर पांच जनवरी को सुनवाई होनी है। इस मामले में नीलम समेत छह आरोपित 5 जनवरी तक दिल्ली पुलिस की हिरासत में हैं। हाल ही में हाई कोर्ट ने नीलम को एफआईआर की प्रति उसके परिजनों को देने के पटियाला हाउस कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दिया था।
दिल्ली पुलिस ने इन लोगों के खिलाफ यूएपीए के तहत एफआईआर दर्ज की। उल्लेखनीय है कि 13 दिसंबर को संसद की विजिटर गैलरी से दो आरोपित चैंबर में कूदे। कुछ ही देर में एक ने डेस्क के ऊपर चलते हुए अपने जूतों से कुछ निकाला और अचानक पीले रंग का धुआं निकलने लगा। इससे सदन में अफरातफरी मच गई थी। इस दौरान कुछ सांसदों ने इन युवकों को पकड़ लिया और उन्हें सुरक्षाकर्मियों के हवाले कर दिया। संसद के बाहर भी नारेबाजी कर रहे दो लोग भी पकड़े गए थे।