नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अडानी-हिंडनबर्ग विवाद की जांच के लिए कोई एसआईटी या विशेषज्ञों का समूह बनाने से इनकार कर दिया।
चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “सेबी को कानून के अनुसार अपनी जांच को एक निष्कर्ष तक ले जाना चाहिए। इस मामले में जांच सेबी से हटाने की जरूरत नहीं है।”
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की इस दलील पर कि अडानी समूह की कंपनियों के खिलाफ आरोपों से संबंधित 24 जांचों में से 22 को पहले ही अंतिम रूप दिया जा चुका है, पीठ ने बाजार नियामक को तीन महीने में लंबित दो जांचें पूरी करने के लिए कहा। पीठ में जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल थे।
शीर्ष अदालत ने कहा कि संगठित अपराध और भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी) और हिंडनबर्ग रिसर्च जैसे तीसरे पक्ष के संगठनों द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट को “निर्णायक सबूत” नहीं माना जा सकता।