नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के प्रावधानों का उल्लंघन कर दो अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों की मतदाता सूचियों में नामांकन आरोपों के मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल को निचली अदालत द्वारा जारी किए गए समन पर रोक लगा दी।
न्यायमूर्ति अमित बंसल ने सुनवाई की अगली तारीख, जो अगले साल एक फरवरी तक समन पर रोक लगा दी।
सुनीता के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका जॉन ने तर्क दिया कि उपरोक्त अधिनियम के तहत अपराध केवल तभी स्थापित होता है, जब कोई व्यक्ति झूठी घोषणा प्रस्तुत करता है। इस मामले में, उन्होंने तर्क दिया कि भाजपा नेता हरीश खुराना ने झूठी घोषणा प्रस्तुत करने को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं दिया।
दिल्ली की एक अदालत ने 2019 में दिल्ली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता हरीश खुराना द्वारा दायर एक मामले में सुनीता को समन जारी किया था, इसमें आरोप लगाया गया था कि वह दिल्ली में साहिबाबाद (गाजियाबाद निर्वाचन क्षेत्र) और चांदनी चौक की मतदाता सूची में एक मतदाता के रूप में पंजीकृत हैं, जो आरपी एक्ट की धारा 17 का उल्लंघन है।
शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया कि उसे अधिनियम की धारा 31 के तहत अपराध के लिए दंडित किया जा सकता है, जो झूठी घोषणाएं करने से संबंधित है।