नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) ट्रिब्यूनल के एक आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें उस पर केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए पांच साल के प्रतिबंध की पुष्टि की गई थी।
न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने याचिका पर सुनवाई की और पीएफआई को पहले उच्च न्यायालय जाने का निर्देश दिया।
पीठ ने राय दी कि “संवैधानिक रिट क्षेत्राधिकार के फोरम से पहले संपर्क करना चाहिए…” और पीएफआई को संबंधित उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता दी।
केंद्र ने 2022 में वैश्विक आतंकवादी समूहों और आतंकी फंडिंग के साथ कथित संबंधों के लिए पीएफआई पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा कि केंद्र सरकार ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है क्योंकि यह “विध्वंसक गतिविधियों में शामिल है, जिससे सार्वजनिक व्यवस्था में गड़बड़ी होती है और देश की संवैधानिक व्यवस्था कमजोर होती है तथा आतंक को बढ़ावा मिलता है।”