नयी दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के डॉ. अशोक वाजपेई ने मंगलवार को राज्यसभा में ईश निंदा कानून बनाने की मांग की।
डॉ. वाजपेई ने सदन में शून्य काल के दौरान “सभापति की अनुमति से उठाए गए मामले “के अंतर्गत कहा कि देश का बहुसंख्यक समाज सहनशील है और इसे कमजोरी समझ लिया गया है। कई लोग आपत्तिजनक बयान बाजी करते हैं, साहित्य छपते हैं और चित्र बनाते हैं। इससे बहुसंख्यक समाज की भावनाएं आहत होती है। सरकार को अन्य देशों की भांति भारत में भी धार्मिक आस्थाओं का सम्मान करने के लिए ईश निंदा कानून बनना चाहिए।
उन्होंने कहा कि 100 से अधिक देशों में आस्था का अपमान करने वालों के लिए ईशनिंदा कानून है। भारत में 125 करोड़ हिन्दू हैं और वह उदारवादी और सहिष्णु होते हैं, लेकिन आए दिन उनकी आस्था पर चोट की घटनाएं देखने को मिलती हैं।
बीजू जनता दल की सुलता देव ने पशु के प्रति क्रूरता बरतने वाले लोगों के खिलाफ कड़े प्रावधान बनाने की मांग की। उन्होंने कहा कि निरीह प्राणियों के साथ क्रूरता पूर्वक व्यवहार होता है और उन्हें कई तरह से यातनाएं दी जाती हैं। सरकार को इस और ध्यान देना चाहिए और पशुओं को क्रूरता से बचना चाहिए।
भारतीय जनता पार्टी के एस सेल्वागनबैथी ने डॉक्टरों और शिक्षकों की भर्ती में स्थानीय भाषा और बोलियाओं को वरीयता देने की मांग की। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों और शिक्षकों के स्थानीय भाषा नहीं जानने के कारण संबंधित सेवाएं प्रभावित होती हैं और लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।