रांची । यूपी के बलिया से लेकर झारखंड के धनबाद कोयलांचल में बाहुबली माफिया के रूप में चर्चित रहे रामाधीर सिंह को पूरी जिंदगी जेल में गुजारनी पड़ेगी। झारखंड हाईकोर्ट ने धनबाद में वर्ष 1998 में ट्रेड यूनियन लीडर विनोद सिंह और उनके ड्राइवर मन्नू अंसारी की हत्या के मामले में निचली अदालत से सुनाई गई उसकी उम्र कैद की सजा बरकरार रखी है।
रामाधीर सिंह यूपी के बलिया में जिला परिषद का अध्यक्ष रह चुका है। धनबाद के तत्कालीन जिला एवं सत्र न्यायाधीश निकेश कुमार सिन्हा की अदालत ने 19 अप्रैल 2015 को रामाधीर सिंह को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। निर्णय की तारीख पर रामाधीर अदालत में हाजिर नहीं हुआ था। बाद में उसने बिना सरेंडर किए निचली अदालत द्वारा दी गई सजा के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
उच्च न्यायालय से राहत नहीं मिलने पर रामाधीर सुप्रीम कोर्ट गया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी उसे कोई राहत नहीं दी थी और सरेंडर करने का आदेश दिया था। इसके बाद रामाधीर सिंह ने 20 फरवरी 2017 को अदालत में सरेंडर कर दिया था। तब से वह जेल में है। जेल जाने के बाद उसने धनबाद की अदालत के फैसले के खिलाफ झारखंड हाईकोर्ट में अपील की थी।
जस्टिस सुजीत नारायण एवं जस्टिस नवनीत कुमार की खंडपीठ ने बुधवार को रामाधीर की अपील को खारिज करते हुए निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा।
बता दें कि 15 जुलाई 1998 को धनबाद में बिहार जनता खान मजदूर संघ के ट्रेड यूनियन नेता विनोद सिंह अपनी एंबेसडर कार से कतरास से धनबाद की तरफ जा रहे थे। कार उनका ड्राइवर मन्नू अंसारी चला रहा था। कतरास के भगत सिंह चौक के पास एंबेसडर कार पहुंच कर धनबाद की ओर मुड़ने के लिए धीमी हुई, तब एक मारुति कार ने उसे ओवरटेक कर लिया।
उसमें से कुछ राइफलधारी उतरे और एंबेसडर कार पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। लगभग सात-आठ मिनट तक फायरिंग होती रह गई। इस अंधाधुंध गोलीबारी में कार में सवार विनोद सिंह और ड्राइवर मन्नू अंसारी की मौके पर ही मौत हो गई। इस हत्याकांड से पूरे धनबाद में सनसनी फैल गई।
विनोद सिंह धनबाद के बाहुबली नेता सकलदेव सिंह के भाई थे। उनकी खुद की पहचान भी बाहुबली ट्रेड यूनियन नेता के तौर पर थी। विनोद सिंह को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने घटना स्थल पर छत्तीस गोलियों के खोखे बरामद किये थे। कार भी पूरी तरह गोलियों से छलनी हो गई थी। हत्याकांड में माफिया किंग सूरजदेव सिंह के भाई बच्चा सिंह, रामाधीर सिंह और बेटे संजीव सिंह का नाम सामने आया।
विनोद सिंह के छोटे भाई दून बहादुर सिंह ने इन तीनों के अलावा कुछ अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। 16 वर्षों तक चले मुकदमे के दौरान 19 गवाहों से पूछताछ की गई। इसके बाद धनबाद सिविल कोर्ट के तत्कालीन अपर न्यायायुक्त निकेश सिन्हा की अदालत ने रामाधीर को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। जबकि, उनके बड़े भाई और झारखंड के पूर्व मंत्री बच्चा सिंह को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था। अन्य आरोपियों में राजीव रंजन, शेर बहादुर और अनिल यादव लापता हैं।