सौंदर्य केवल शरीर में नहीं, आत्मा में है: आध्यात्मिक मार्गदर्शन
आज की दुनिया में अधिकांश लोग अपने शरीर की सुंदरता पाने के लिए विभिन्न संसाधनों और उपायों का सहारा लेते हैं। परन्तु यह बाहरी सुंदरता केवल क्षणिक होती है। समय के साथ यह घटती है और धीरे-धीरे शरीर की कुरूपता सामने आती है। वहीं, भीतर की सुंदरता स्थायी होती है।
बाहरी प्रसाधनों से केवल शरीर संवर सकता है, पर आत्मा का सौंदर्य केवल सत्संग और ईश्वर की निकटता से प्रकट होता है। जीवन में निरंतरता और गति बनाए रखने से ही सुंदरता झलکتی है। जैसे बहती हुई नदी सुंदर लगती है, लेकिन जब उसका प्रवाह रुक जाता है तो उसमें दुर्गंध उत्पन्न होती है।
जो व्यक्ति अपने जीवन को नियम और दिनचर्या में बाँधता है, उसके चारों ओर सकारात्मकता और सुंदरता फैलती है। इसलिए जीवन में परमात्मा के निकट रहो, भक्ति करो, प्रकृति में समय बिताओ, और अपने विचारों और कर्मों की सुगंध फैलाओ। इस तरह न केवल आत्मा बलवान बनेगी, बल्कि व्यक्ति की संपूर्ण सुंदरता भी उजागर होगी।
